भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका व्यापार समझौता संदर्भ
विशेष रूप से अमेरिका और वियतनाम के बीच हुए नए व्यापार समझौते की पृष्ठभूमि में, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की आसन्न घोषणा वाशिंगटन डीसी के दृष्टिकोण की झलक प्रदान करती है।
अमेरिका-वियतनाम व्यापार समझौते से महत्वपूर्ण जानकारी
- टैरिफ अधिरोपण:
- अमेरिका वियतनामी वस्तुओं पर 20% टैरिफ लगाता है, जबकि वियतनाम को अमेरिकी वस्तुओं पर सभी टैरिफ हटाने के लिए बाध्य किया गया है।
- यह अमेरिका के पक्ष में एक असंतुलित प्रकृति को दर्शाता है, जिसका प्रभाव विशेष रूप से छोटे, विकासशील देशों पर पड़ रहा है।
- ट्रांसशिपमेंट टैरिफ:
- वियतनाम के माध्यम से अमेरिका भेजे गए ट्रांज़शिप किए गए माल पर 40% शुल्क लगाया जाता है, जिसका उद्देश्य वियतनामी वस्तुओं में चीन की भागीदारी को लक्षित करना है।
- इससे अन्य आसियान देशों पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जिन्हें चीन के लिए ट्रांसशिपमेंट केन्द्र माना जाता है।
- हेडलाइन बनाम क्षेत्रीय टैरिफ:
- यह समझौता क्षेत्रीय टैरिफ पर ध्यान दिए बिना मुख्य टैरिफ पर केंद्रित है, जो जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के लिए चिंता का विषय है।
- इसी प्रकार के मुद्दे भारत के लिए भी चुनौतियां उत्पन्न करते हैं।
भारत के लिए निहितार्थ
- चीन के साथ टैरिफ अंतराल:
- भारत का लक्ष्य चीन की तुलना में अनुकूल टैरिफ अंतराल बनाए रखना है।
- वियतनाम समझौता इस परिप्रेक्ष्य का समर्थन करता है तथा अमेरिका के साथ रणनीतिक समझौते की आवश्यकता पर बल देता है।
- वार्ता के विकल्प:
- भारत के सामने यह विकल्प है कि वह एक सीमित प्रारंभिक समझौते (अर्ली-हार्वेस्ट डील) को अपनाए या 9 जुलाई की समयसीमा के बाद वार्ताएं स्थगित कर दे।
- तत्काल पूर्ण सहमति की संभावना कम प्रतीत होती है।
- टैरिफ में कटौती:
- मध्यवर्ती वस्तुओं पर टैरिफ कम करना लाभकारी हो सकता है।
- अमेरिकी हित के औद्योगिक माल और विशिष्ट कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करने पर विचार।
रणनीतिक विचार
- आधारभूत शुल्क:
- वर्तमान आधारभूत टैरिफ़ यथावत बने रहने की उम्मीद है।
- भारत की वार्ता का लक्ष्य 10% से 26% के बीच की दर रखना है।
- आयात के अवसर:
- कच्चे तेल, रक्षा उपकरण और परमाणु क्षेत्र में अमेरिका से आयात बढ़ने की संभावना।
- इससे ट्रम्प द्वारा उठाए गए व्यापार घाटे के मुद्दे को सुलझाने में मदद मिल सकती है।
- नीतिगत निहितार्थ:
- भारत की ढांचागत चुनौतियों जैसे कि अवसंरचना संबंधी बाधाओं और उच्च लागतों से निपटने के लिए चीन के साथ टैरिफ अंतराल सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।