आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS) का अवलोकन
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS) को मजबूत करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसे वर्ष 2011 में शुरू किया गया था। AePS एक बैंक-आधारित मॉडल है जो माइक्रोएटीएम टर्मिनलों पर आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से ऑनलाइन, इंटरऑपरेबल वित्तीय लेनदेन को सक्षम बनाता है।
UPI से तुलना
- AePS : यह मुख्य रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत को सेवाएं प्रदान करता है तथा नकदी निकासी, जमा और निधि हस्तांतरण जैसी वित्तीय सेवाएं और शेष राशि की जानकारी जैसी गैर-वित्तीय सेवाएं प्रदान करता है।
- UPI : भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित, यह मोबाइल उपकरणों के माध्यम से वास्तविक समय में व्यक्ति-से-व्यक्ति और व्यक्ति-से-व्यापारी लेनदेन की अनुमति देता है।
अधिग्रहण बैंकों के लिए RBI के दिशानिर्देश
- अधिग्रहणकर्ता बैंकों को AePS टचपॉइंट ऑपरेटरों (ATO) पर उचित जांच (Due Diligence) करनी होगी और उनके केवाईसी विवरणों को समय-समय पर अपडेट करना अनिवार्य है।
- तीन महीने से निष्क्रिय ATO के लिए नया केवाईसी सत्यापन आवश्यक होगा।
- लेनदेन के पैटर्न, स्थान और संचालन के प्रकार के आधार पर ATO की लगातार निगरानी करना भी अनिवार्य होगा।
चुनौतियाँ और सिफारिशें
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) निजी और भुगतान बैंकों की तुलना में AePS का कम उपयोग करते हैं, जिससे अक्सर लेनदेन की संख्या सीमित हो जाती है।
- लेनदेन की सुविधा बढ़ाने के लिए RBI से तीसरे पक्ष की जमाराशि की अनुमति देने की मांग की जा रही है।
भुगतान एग्रीगेटर्स और प्रीपेड भुगतान उपकरणों (PPIs) की भूमिका
आरबीआई पेमेंट एग्रीगेटर्स (PAs) के लिए दिशा-निर्देश तय कर रहा है, ताकि वे प्रभावी तरीके से काम कर सकें, जिससे संभवतः क्यूआर कोड के माध्यम से नकद निकासी संभव हो सके। खास तौर पर ऋण चुकौती और लेन-देन की सीमा को लेकर PAs ऑपरेटरों की कार्यप्रणाली को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
PPI सीमाएँ
- ऋण चुकौती के लिए वॉलेट में क्रेडिट कार्ड से लोड की गई धनराशि का उपयोग करने पर वर्तमान प्रतिबंध।
- PPI वॉलेट में 2 लाख रुपये तक की राशि रखी जा सकती है तथा मासिक नकद लोडिंग और निकासी की सीमा भी तय की गई है।
निष्कर्ष
UPI, AePS, PAs, और PPIs सहित भारत की भुगतान प्रणालियाँ वित्तीय समावेशन और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये प्रणालियाँ सामूहिक रूप से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देती हैं, जिससे विशेष रूप से ग्रामीण आबादी को लाभ होता है।