परमाणु ऊर्जा कानूनों में प्रस्तावित संशोधन
केंद्र सरकार परमाणु ऊर्जा कानूनों में महत्वपूर्ण संशोधन करने की तैयारी कर रही है, जिससे अन्वेषण, परमाणु खनिजों के खनन और ईंधन निर्माण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी की संभावना बढ़ जाएगी। इन क्षेत्रों का प्रबंधन वर्तमान में विशेष रूप से सरकार द्वारा किया जाता है।
परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) द्वारा वर्तमान प्रबंधन
- वर्तमान में परमाणु ऊर्जा इकोसिस्टम की देखरेख DAE द्वारा की जाती है।
- परमाणु खनिजों की खोज और पहचान का कार्य पूर्णतः परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय द्वारा किया जाता है।
निजी क्षेत्र की भागीदारी
- केंद्र निम्नलिखित क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी पर विचार कर रहा है:
- यूरेनियम और लिथियम जैसे परमाणु खनिजों की खोज और खनन।
- ईंधन निर्माण, जिसका प्रबंधन वर्तमान में DAE के परमाणु ईंधन परिसर द्वारा किया जाता है।
नया संगठनात्मक ढांचा
- विद्युत मंत्रालय को शामिल करने तथा परमाणु ऊर्जा विकास के लिए विशिष्ट संस्थाओं के निर्माण हेतु एक नई संरचना प्रस्तावित की गई है:
- परमाणु पार्क विकास एजेंसी: परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जिम्मेदार।
- न्यूक्लियर पावर ट्रेडिंग कॉरपोरेशन: बिजली खरीद और वितरण का काम संभालेगा।
- ईंधन एवं हैवी वाटर विनियामक: फ्यूल असेंबली एवं हैवी वाटर की आपूर्ति के लिए।
- रेडियोधर्मी अपशिष्ट प्रबंधन एवं विनियोजन प्राधिकरण: उपयोग में लाए जा चुके ईंधन के पुनर्प्रसंस्करण का प्रबंधन करेगा।
अपेक्षित सुधार और भूमिकाएँ
- नये ढांचे में निम्नलिखित शामिल हैं:
- ECIL के साथ-साथ उपकरण और नियंत्रण प्रणालियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी।
- परमाणु ऊर्जा उत्पादन और वितरण प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए संस्थाओं का पुनर्गठन।