आपदा जोखिम बीमा और कैटास्ट्रोफ़ बॉन्ड्स (Catastrophe Bonds)
भारत में जीवन बीमा तो सर्वविदित है, लेकिन आपदा जोखिम बीमा अभी भी काफी हद तक अपरिचित है। इसकी वजह से प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान और हानि का जोखिम काफी बढ़ जाता है। आबादी के एक बड़े हिस्से के पास बिना बीमा वाली संपत्तियाँ और आजीविकाएँ हैं।
कैटास्ट्रोफ़ बॉन्ड्स (कैट बॉन्ड्स)
- कैटास्ट्रोफ़ बॉन्ड्स (कैट बॉन्ड्स) ऐसे वित्तीय उत्पाद हैं, जो बीमा कवरेज को व्यापार योग्य प्रतिभूतियों में बदल देते हैं।
- ये जोखिम को आपदा-प्रवण देशों से वैश्विक वित्तीय बाजारों की ओर स्थानांतरित करते हैं, जिससे आपदा राहत और पुनर्निर्माण के लिए धन का एक बड़ा स्रोत उपलब्ध होता है।
- कैट बॉन्ड्स शीघ्र भुगतान सुनिश्चित करते हैं और प्रतिपक्ष जोखिम को कम करते हैं।
- संप्रभु राष्ट्र इन बॉन्ड्स को प्रायोजित करते हैं और प्रीमियम का भुगतान करते हैं, जबकि विश्व बैंक जैसे मध्यस्थ संस्थाएं इनके निर्गम (issuance) की प्रक्रिया संभालती हैं।
- यदि कोई आपदा घटित होती है, तो निवेशकों को अपने मूलधन (principal) का कुछ हिस्सा खोने का जोखिम होता है। इसी कारण इन बांड्स पर उच्च कूपन दरें (coupon rates) मिलती हैं।
कूपन दरें जोखिम के प्रकार पर निर्भर करती हैं; उदाहरण के लिए, भूकंप की तुलना में तूफ़ानों (hurricanes) पर अधिक प्रीमियम लिया जाता है।
कैट बॉन्ड्स में निवेश
- पेंशन फंड, हेज फंड और फैमिली ऑफिस प्रमुख निवेशक हैं, जो विविधीकरण की तलाश में हैं, क्योंकि जलवायु जोखिम वित्तीय जोखिमों से स्वतंत्र हैं।
भारत के लिए प्रासंगिकता
- जलवायु परिवर्तन के कारण भारत को आपदा जोखिम का सामना करना पड़ रहा है, जिसके लिए वित्तीय सुरक्षा की आवश्यकता है।
- सरकार ने जोखिम कम करने के लिए महत्वपूर्ण धनराशि आवंटित की है, जिससे भारत क्षेत्रीय कैट बॉन्ड्स को प्रायोजित करने की स्थिति में आ गया है।
- एक 'साउथ एशियन कैट बॉन्ड' जोखिमों को फैला सकता है, प्रीमियम कम कर सकता है तथा आपदाओं के प्रति वित्तीय लचीलापन मजबूत कर सकता है।
चुनौतियाँ और विचार
- खराब तरीके से डिजाइन किए गए कैट बॉन्ड्स के कारण महत्वपूर्ण आपदाओं के बावजूद कोई भुगतान नहीं हो सकता है।
- प्रीमियम बनाम ऐतिहासिक पुनर्निर्माण लागत का लागत-लाभ विश्लेषण निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण है।
क्षेत्रीय आपदा जोखिम ढांचे का विकास और कैट बॉन्ड्स जैसे नवीन वित्तीय उपकरण दक्षिण एशिया में आपदा तैयारी और पुनरुद्धार को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दे सकते हैं।