'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक का अवलोकन
संसद की संयुक्त समिति के समक्ष प्रस्तुत होकर भारत के दो पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' (ONOE) विधेयक पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह विधेयक संविधान के मूल ढाँचे का उल्लंघन नहीं करता। हालांकि, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के चुनाव आयोग को दी गई शक्तियों के कारण विधेयक के वर्तमान स्वरूप को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
चर्चा के मुख्य अंश
- विधेयक का प्रावधान दर प्रावधान परीक्षण किया गया तथा व्यापक संवैधानिक, नैतिक और राजनीतिक निहितार्थों पर चर्चा की गई।
- न्यायमूर्ति खेहर ने इस विधेयक के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के अवसर पर प्रकाश डाला तथा इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
उठाई गई प्रमुख चिंताएँ
- राज्य में आपातस्थिति या समय से पूर्व चुनाव जैसे परिस्थितियों पर चुप्पी।
- एक साथ चुनाव कराने से स्थानीय मुद्दों का कमजोर पड़ना संभावित है।
- न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने भाषा के मुद्दे को एक ऐसे क्षेत्रीय मुद्दे के उदाहरण के रूप में इस्तेमाल किया, जो एक साथ होने वाले चुनावों में राष्ट्रीय महत्व प्राप्त कर सकता है।
- कानूनी चुनौतियों का ज़िक्र किया गया और विधेयक का मसौदा फिर से तैयार करने का प्रस्ताव दिया गया। ये प्रस्ताव विशेष रूप से चुनाव आयोग की शक्तियों और अविश्वास प्रस्तावों के संबंध में दिए गए।
संवैधानिक अवलोकन
- न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि असमकालिक चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए कोई संवैधानिक अनिवार्यता नहीं हैं।
- न्यायमूर्ति खेहर और न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ दोनों ने भारत में पहले एक साथ हुए चुनावों के ऐतिहासिक उदाहरण का उल्लेख किया।
- अनुच्छेद 82A(1) पर चर्चा हुई, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि यह कोई संवैधानिक उल्लंघन नहीं है क्योंकि यह केवल नवनिर्वाचित लोकसभा की तिथि निर्धारित करता है।
- विधेयक में राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को लोकसभा के कार्यकाल के अनुरूप करने का प्रस्ताव है।
नियम और अवधि
- संविधान में प्रत्येक सरकार के लिए अधिकतम पांच वर्ष का कार्यकाल प्रदान किया गया है तथा न्यूनतम कार्यकाल की कोई गारंटी नहीं है।
- सरकारों को पूरे कार्यकाल में अपना जनादेश बनाए रखना होता है, जिसमें अविश्वास प्रस्ताव जैसे नियंत्रण तंत्र भी मौजूद हैं।
- न्यायमूर्ति खेहर ने यह उल्लेख किया कि यदि कार्यकाल घटाया गया हो, तो मतदान के समय मतदाताओं को इसके बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी देना अत्यंत आवश्यक है।