भारत की परमाणु ऊर्जा
भारत अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं के चलते स्वच्छ ऊर्जा पर ज़ोर देते हुए अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाना चाहता है। परमाणु ऊर्जा एक व्यवहार्य विकल्प है, लेकिन सख़्त आपूर्तिकर्ता दायित्व कानूनों के कारण इसकी वृद्धि में बाधा आ रही है।
वर्तमान परमाणु ऊर्जा परिदृश्य
- भारत अपनी बिजली का लगभग 3% परमाणु रिएक्टरों से उत्पादित करता है।
- इसके विपरीत, फ्रांस के विद्युत उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का योगदान 64% है।
चुनौतियाँ और सुधार
- भारत सरकार परमाणु कानूनों की पुनर्रचना पर विचार कर रही है, जिनमें परमाणु क्षति के लिए न्यायिक दायित्व (Civil Liability for Nuclear Damage) से जुड़े प्रावधान भी शामिल हैं।
- वर्तमान कानून आपूर्तिकर्ताओं के लिए असीमित दायित्व की आशंका उत्पन्न करता है, जिससे निजी निवेशक हिचकिचाते हैं।
- परियोजनाओं को भू-राजनीतिक मुद्दों और स्थानीय प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है।
- भारत निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए अपने दायित्व विनियमों को अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप बनाना चाहता है।
निवेश और बाजार की गतिशीलता
- महत्वाकांक्षी परमाणु ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बाजार-संचालित दृष्टिकोण आवश्यक है।
- भारत ने परमाणु दायित्व पर वैश्विक अभिसमय पर हस्ताक्षर तो किए हैं, परंतु उसका अनुसमर्थन नहीं किया है।
- कोयला आधारित संयंत्रों में निजी निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों में सब्सिडी और वितरण संबंधी मुद्दों के कारण बाधा आ रही है।
- परमाणु ऊर्जा के विकास, ऊर्जा सुरक्षा और स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए आपूर्तिकर्ता दायित्व पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।
संक्षेप में, परमाणु ऊर्जा के विस्तार की दिशा में आपूर्तिकर्ता दायित्व का समाधान एक आवश्यक कदम है, लेकिन केवल यही पर्याप्त नहीं है। भारत में परमाणु ऊर्जा की संभावनाओं का पूरा लाभ उठाने के लिए व्यापक सुधारों और बाज़ार समायोजन की आवश्यकता है।