एस-400 मिसाइल प्रणाली और प्रतिबंधों पर भारत का रुख
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारत ने अपनी वायु रक्षा की सबसे बाहरी परत के रूप में S-400 मिसाइल प्रणाली का इस्तेमाल किया। यह प्रणाली CAATSA के तहत संभावित अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद, रूस से हासिल की गई थी।
CAATSA और अमेरिकी प्रतिबंध
- प्रतिबंधों के माध्यम से अमेरिका के विरोधियों का मुकाबला करने संबंधी अधिनियम (CAATSA) रूस, उत्तर कोरिया या ईरान के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन करने वाले देशों के विरुद्ध प्रतिबंध लगाने का आदेश देता है।
- भारत ने एस-400 सौदे पर आगे कदम बढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मिल गई।
- इसी तरह की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं, नाटो महासचिव ने रूस के साथ लेन-देन करने पर भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है।
अमेरिका और नाटो के संभावित प्रतिबंध
- अमेरिकी सीनेटर रूसी सामान खरीदने वाले देशों पर 500% टैरिफ लगाने के प्रस्ताव वाले प्रतिबंध विधेयक का समर्थन कर रहे हैं।
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रस्ताव दिया कि यदि यूक्रेन के साथ 50 दिनों के भीतर शांति समझौता नहीं होता है तो रूस के व्यापार साझेदारों पर 100% द्वितीयक टैरिफ लगाया जाएगा।
- भारत के विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रीय ऊर्जा आवश्यकताओं को प्राथमिकता दिए जाने पर जोर दिया तथा दोहरे मानदंडों के प्रति आगाह किया।
भारत की ऊर्जा रणनीति
- पश्चिमी देशों द्वारा मूल्य सीमा लागू करने के बाद भारत ने रियायती रूसी तेल का लाभ उठाया, जिसके फलस्वरूप रूस भारत का शीर्ष कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया।
- रूसी तेल से परिष्कृत ईंधन की एक बड़ी मात्रा यूरोप को निर्यात की जाती है।
- CREA की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 के अंत तक भारत, रिफाइनिंग खामियों का लाभ उठाते हुए, यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा तेल उत्पाद निर्यातक बन जाएगा।
वैश्विक संबंधों पर प्रतिबंधों का प्रभाव
- पश्चिमी देशों का लक्ष्य व्यापार साझेदारों पर प्रतिबंधों के माध्यम से रूस के युद्ध वित्तपोषण तथा युद्ध विराम के लिए दबाव को रोकना है।
- इससे भारत जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख सहयोगी है, के साथ संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है।
- पश्चिम से आग्रह किया जाता है कि वह भारत से सहयोग की अपेक्षा करते हुए उसे दंडित करने के बजाय उसे समान भागीदार के रूप में देखे।
भारत की स्थिति
- पेट्रोलियम मंत्रालय ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने कच्चे तेल की आपूर्ति में विविधता ला दी है।
- पश्चिमी देशों द्वारा अपनी शर्तें थोपने के प्रयासों के बावजूद भारत अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने में दृढ़ है।