AI क्षमता साझाकरण के लिए वैश्विक प्रयास
भारत 2026 में आगामी AI इम्पैक्ट शिखर सम्मेलन में अपनी भूमिका का लाभ उठाकर यह प्रदर्शित करना चाहता है कि किस प्रकार सरकार के नेतृत्व वाली पहलें सामाजिक लाभ के लिए AI विकास का मार्गदर्शन कर सकती है।
भू-राजनीतिक परिदृश्य
- वैश्विक तनाव जारी है, यूक्रेन संघर्ष और पश्चिम एशिया की अस्थिरता के कारण सहयोगात्मक प्रयास प्रभावित हो रहे हैं।
- पेरिस AI शिखर सम्मेलन (2025) में असहमति व्याप्त है; भारत स्वयं को मध्यस्थ के रूप में प्रस्तुत कर रहा है।
शिखर सम्मेलन की राष्ट्रीय तैयारियाँ
- इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जून में MyGov प्लेटफॉर्म के माध्यम से व्यापक परामर्श शुरू किया।
- फोकस क्षेत्रों में समावेशी विकास, विकास संवर्धन और AI का उपयोग करके पर्यावरण संरक्षण शामिल हैं।
शिखर सम्मेलन के लिए प्रमुख सुझाव
- जो मायने रखता है उसे मापें:
- स्पष्ट, मापनीय उद्देश्य अपनाना, जैसे- डेटा सेंटर की बिजली खपत को कम करना या AI शिक्षा प्रदान करना।
- इन लक्ष्यों पर नज़र रखने के लिए एक सार्वजनिक मंच बनाना।
- ग्लोबल साउथ को शामिल करना:
- ग्लोबल साउथ के देशों के प्रतिनिधित्व पर जोर देते हुए व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- क्लाउड क्रेडिट और भाषा डेटासेट का समर्थन करने के लिए "AI फॉर बिलियन्स फंड" का प्रस्ताव करना।
- एक सामान्य सुरक्षा जांच स्थापित करना:
- मानकीकृत परीक्षण प्रोटोकॉल के लिए वैश्विक AI सुरक्षा सहयोग को सुगम बनाना।
- पूर्वाग्रह मजबूती पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक खुला मूल्यांकन किट विकसित करना।
- विनियमन के लिए मध्य मार्ग:
- विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय ढाँचों से तत्वों को शामिल करते हुए एक संतुलित AI आचार संहिता का प्रस्ताव करना।
- प्रकटीकरण और दुर्घटना रिपोर्टिंग को इस स्वैच्छिक संहिता का हिस्सा बनाना।
- विखंडन से बचना:
- एकता और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना, AI विकास में अमेरिका-चीन तनाव को कम करना।
निष्कर्ष
भारत का लक्ष्य केवल शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने से आगे बढ़कर समावेशिता और सहयोग को बढ़ावा देकर, केवल भागीदारी के बजाय प्रगति को बढ़ावा देकर AI में अपनी वैश्विक पहचान को नया आकार देना है।