Select Your Preferred Language

Please choose your language to continue.

भारत की FDI चुनौती: घटते निवेश और बढ़ती प्रतिस्पर्धा की दुनिया में, पूंजी आत्मविश्वास और स्पष्टता की तलाश में रहेगी | Current Affairs | Vision IAS

Daily News Summary

Get concise and efficient summaries of key articles from prominent newspapers. Our daily news digest ensures quick reading and easy understanding, helping you stay informed about important events and developments without spending hours going through full articles. Perfect for focused and timely updates.

News Summary

Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat

भारत की FDI चुनौती: घटते निवेश और बढ़ती प्रतिस्पर्धा की दुनिया में, पूंजी आत्मविश्वास और स्पष्टता की तलाश में रहेगी

13 min read

वैश्विक FDI रुझानों का अवलोकन

वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का अनुभव कर रही है और उभरते बाजारों तथा विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (EMDEs) में गिरावट देखी जा रही है। EMDEs में FDI प्रवाह घटकर सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 2% रह गया है। यह 2023 में कुल 435 अरब डॉलर था, जो 2005 के बाद सबसे कम है। 2000 के दशक के दौरान, 2008 में यह प्रवाह सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 5% के शिखर पर पहुँच गया था।  

वैश्विक चुनौतियाँ

  • भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और नीतिगत जड़ता के कारण व्यापार तथा निवेश प्रवाह में गिरावट आई है।
  • 2010 से 2024 तक निवेश संधियों की संख्या में कमी की गई, जो 2000 से 2009 की तुलना में काफी कम है।

भारत में FDI 

भारत अद्वितीय विशेषताओं के साथ वैश्विक रुझानों को प्रतिबिंबित करता है। वित्त वर्ष 2025 में सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) बढ़कर 81 अरब डॉलर हो गया, जो 14% की वृद्धि दर्शाता है। वहीं, प्रत्‍यावासन (repatriations), बाह्य प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और मुनाफे के कम पुनर्निवेश के कारण शुद्ध FDI 96% घटकर 0.35 अरब डॉलर रह गया। 

क्षेत्रक और क्षेत्रीय फोकस 

  • सेवा, निर्माण और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रकों में वृद्धि।
  • विनिर्माण और वित्तीय सेवाएं मजबूत बनी हुई हैं तथा ऊर्जा और संचार में रुचि बढ़ी है।
  • FDI में भौगोलिक विषमता: महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में वृद्धि, गुजरात और दिल्ली में गिरावट।

भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने की रणनीतियाँ

नीतिगत सिफारिशें

  • प्रतिस्पर्धात्मक लाभ बढ़ाने के लिए व्यापार-मित्र देशों के साथ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करना।
  • लालफीताशाही को कम करने और निवेश को आसान बनाने के लिए विनियमन आयोग जैसे विचारों के माध्यम से विनियमन को लागू करना। 
  • कार्यकुशलता में सुधार के लिए व्यापार-सुविधा सुधारों के साथ रसद और व्यापार संबंधी बाधाओं का समाधान करना।

संस्थागत समन्वय

  • घरेलू सुधारों को अंतर्राष्ट्रीय नियम-निर्माण के साथ संरेखित करना तथा केंद्र, राज्यों और एजेंसियों के बीच समन्वय सुनिश्चित करना।

राज्य-स्तरीय पहलें 

  • राज्यों को व्यापार में आसानी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना तथा आवश्यक बुनियादी ढांचा और सहायता प्रदान करना।
  • निवेश नीति की गतिशील प्रकृति को पहचानना और बदलते व्यावसायिक परिवेश के अनुरूप ढालना। 

निष्कर्ष

भारत की ताकत उसकी जनसांख्यिकी, डिजिटल क्षमता और लोकतांत्रिक स्थिरता में निहित है। हालाँकि, बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा के साथ, भारत को न केवल निवेश आमंत्रित करना होगा, बल्कि उसके लिए उपयुक्त वातावरण भी बनाना होगा। भारत की ज़िम्मेदारी है कि वह अपनी विशेषताओं का लाभ उठाए और प्रभावी ढंग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित करे।

  • Tags :
  • FDI in India
Subscribe for Premium Features