यूनाइटेड किंगडम की संसद ने ऐतिहासिक “सहायता प्राप्त मृत्यु वाले विधेयक (Assisted dying bill )” के पक्ष में मतदान किया | Current Affairs | Vision IAS
मेनू
होम

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर समय-समय पर तैयार किए गए लेख और अपडेट।

त्वरित लिंक

High-quality MCQs and Mains Answer Writing to sharpen skills and reinforce learning every day.

महत्वपूर्ण यूपीएससी विषयों पर डीप डाइव, मास्टर क्लासेस आदि जैसी पहलों के तहत व्याख्यात्मक और विषयगत अवधारणा-निर्माण वीडियो देखें।

करंट अफेयर्स कार्यक्रम

यूपीएससी की तैयारी के लिए हमारे सभी प्रमुख, आधार और उन्नत पाठ्यक्रमों का एक व्यापक अवलोकन।

ESC

“असाध्य रोग से पीड़ित वयस्क (जीवन का अंत) विधेयक” यूनाइटेड किंगडम की संसद के निचले सदन 'हाउस ऑफ कॉमन्स' में पारित किया गया। 

  • विधेयक के अनुसार असाध्य बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के इच्छा मृत्यु (राइट टू डाई) संबंधी अनुरोध पर दो डॉक्टर और हाई कोर्ट का एक न्यायाधीश हस्ताक्षर करेंगे। 
  • इसके बाद उस वयस्क को छह महीने के भीतर जीवन को समाप्त करने के अधिकार का उपयोग करना होगा।

राइट टू डाई के अलग-अलग रूप 

  • सहायता प्राप्त मृत्यु (Assisted dying): असाध्य रोग से पीड़ित मरीज को चिकित्सक से प्राण-घातक दवा उपलब्ध कराई जाती है। फिर उस व्यक्ति को स्वयं ही अपना जीवन समाप्त करने के लिए दवा लेनी पड़ती है। 
  • इच्छामृत्यु (Euthanasia): चिकित्सक जानबूझकर रोगी के जीवन को समाप्त करने के लिए उसे प्राण-घातक दवाइयां देता है। इसके तहत जरूरी नहीं है कि मरीज असाध्य रोग से पीड़ित हो, उसे पीड़ा से मुक्ति दिलाने के लिए भी यह तरीका अपनाया जाता है। 

इच्छामृत्यु या सहायता प्राप्त मृत्यु और जीवन समाप्त करने से जुड़ी नैतिक दुविधाएं 

पक्ष में तर्क 

  • पीड़ा कम होती है: यह अधिकार आजीवन पीड़ा और वेजिटेटिव यानी अचेतन अवस्था से मुक्ति प्रदान करता है। यह वास्तव में दीर्घकालिक पीड़ा को समाप्त करने का एक मानवीय विकल्प प्रदान करता है। 
  • रोगी की गरिमा और स्वायत्तता को संरक्षित किया जाता है: यह अधिकार रोगी को अपने जीवन का अंत करने के बारे में निर्णय लेने के अधिकार को मान्यता देता है। 
  • यह पेशेवर और नैतिक तरीका है: जीवन को समाप्त करने की अनुमति देने से पहले मेडिकल बोर्ड अनुरोध पर सावधानीपूर्वक विचार करता है। साथ ही, इस अधिकार के दुरुपयोग को रोकने के लिए पूरी तरह से कानूनी जांच-पड़ताल की जाती है।

विपक्ष में तर्क:

  • नीतिशास्त्रीय (Ethical) और नैतिक (Moral) चुनौतियां: चिकित्सा विज्ञान की नैतिक संहिता जीवन को संरक्षित करने पर जोर देती है। इस तरह जीवन बचाने के लिए प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा किसी व्यक्ति का जीवन लेने का विकल्प चुनना नैतिक दुविधा उत्पन्न करता है।
  • दुरुपयोग का खतरा: अंग प्रत्यारोपण के गोरखधंधे में शामिल लोगों के निहित स्वार्थों द्वारा इस अधिकार का दुरुपयोग किया जा सकता है आदि।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक और दार्शनिक संवेदनशीलता: इच्छामृत्यु का अधिकार वास्तव में जीवन और मृत्यु के बारे में अलग-अलग धर्मों की सांस्कृतिक एवं धार्मिक मान्यताओं के प्रतिकूल हैं। ईसाई धर्म ग्रंथ भी इसकी अनुमति नहीं देते हैं।
    • उदाहरण के लिए, दार्शनिक इमैनुएल कांट का मानना है कि स्वयं का जीवन समाप्त करने का स्वैच्छिक कार्य "कभी भी, किसी भी परिस्थिति में, स्वीकार्य नहीं माना जा सकता है।"
Watch Video News Today
Title is required. Maximum 500 characters.

Search Notes

Filter Notes

Loading your notes...
Searching your notes...
Loading more notes...
You've reached the end of your notes

No notes yet

Create your first note to get started.

No notes found

Try adjusting your search criteria or clear the search.

Saving...
Saved

Please select a subject.

Referenced Articles

linked

No references added yet

Subscribe for Premium Features