कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट जारी की गई | Current Affairs | Vision IAS
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इस रिपोर्ट में पशुधन क्षेत्रक में सुधार के लिए कई उपायों की सिफारिश की गई है तथा संबंधित प्रमुख मुद्दों को भी उजागर किया गया है।

भारत में पशुधन क्षेत्रक की स्थिति पर एक नजर

  • विश्व में पशुधन की सर्वाधिक आबादी भारत में है। 2022-23 में, इसने कुल सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 4.66% का योगदान दिया था।
    • इस क्षेत्रक में 2014-15 से 2022-23 तक 7.38% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से वृद्धि हुई है। इसलिए, कृषि संबंधी GVA में इसका योगदान 24.32% से बढ़कर 30.38% हो गया है।

इस रिपोर्ट में उजागर की गई मुख्य चिंताएं

  • कम बजट आवंटन: लघु पशुधन संस्थान, नस्ल सुधार संस्थान और भारतीय पशु चिकित्सा परिषद जैसे प्रमुख संस्थानों के लिए कम धनराशि आवंटित की जाती है।
  • चारा और आहार संबंधी मुद्दे: भारत में केवल 5% कृषि योग्य भूमि पर चारा उत्पादन होता है, जबकि भारत में विश्व की 15% पशुधन आबादी है।
  • पशुधन बीमा: भारत में केवल 1% पशुधन ही बीमा के तहत कवर हैं।
  • अन्य मुद्दे: इसमें निधियों का कम उपयोग करना, कम उत्पादकता, योजनाओं में अपर्याप्त प्रगति आदि शामिल है।

इस रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें 

  • पशुधन को विशेष क्षेत्रक (Special Sector) घोषित करना: इससे इस क्षेत्रक को उचित महत्त्व और संसाधन की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
  • राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) के लक्ष्यों को पूरा करना: इसके तहत बल्क मिल्क कूलर्स और स्वचालित दुग्ध संग्रह इकाइयों की स्थापना पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • आवारा पशुओं के लिए सहायता: किसानों को अनुत्पादक पशुओं की देखभाल करने तथा गौशालाओं को वित्त-पोषित करने के लिए सब्सिडी या आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए।
  • पशुधन बीमा का विस्तार करना: इसके तहत 53.5 करोड़ पशुधन आबादी को कवर किया जाना चाहिए।
  • अन्य सिफारिशें: इसमें आनुवंशिक उन्नयन कार्यक्रम शुरू करना, राष्ट्रीय चारा मिशन की शुरुआत करना आदि शामिल हैं।

पशुधन क्षेत्रक के लिए भारत में शुरू की गई पहलें

  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन: इसका उद्देश्य सिलेक्टिव ब्रीडिंग के माध्यम से देशी नस्लों का संरक्षण और उनमें सुधार करना है।
  • किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और पशु स्वास्थ्य अवसंरचना कोष: इसका उद्देश्य ऋण की उपलब्धता को बढ़ाना और पशु स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना का विकास करना है।
  • डेयरी संबंधी कार्यक्रम: NPDD जैसी पहलों का उद्देश्य डेयरी क्षेत्रक का आधुनिकीकरण करना और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है।
  • स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण: इसके तहत मुंहपका व खुरपका (FMD) और ब्रुसेलोसिस की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम आदि शुरू किए गए हैं। 
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