इस अवसर पर भारतीय प्रधान मंत्री को कुवैत के सर्वोच्च पुरस्कार 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित किया गया।
यात्रा के मुख्य परिणामों पर एक नजर

- रणनीतिक साझेदारी: भारत और कुवैत ने अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने का निर्णय लिया।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA): भारत ने सतत ऊर्जा सहयोग के लिए कुवैत के ISA में शामिल होने के फैसले का स्वागत किया।
- एशियन कोऑपरेशन डायलॉग (ACD): क्षेत्रीय सहयोग में ACD के महत्त्व पर बल दिया गया।
- गौरतलब है कि ACD का उद्घाटन 2001 में एशिया की सामूहिक शक्तियों का लाभ उठाने के उद्देश्य से किया गया था। इसमें 35 देश शामिल हैं। भारत इसका संस्थापक सदस्य है।
- भारत-GCC सहयोग: कुवैत ने भारत और GCC (खाड़ी सहयोग परिषद) के सदस्य देशों के बीच मजबूत संबंधों का समर्थन करने की बात कही। वर्तमान में GCC की अध्यक्षता कुवैत के पास है।
- अन्य घटनाक्रम: नवीनीकृत सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (2025-2029) पर हस्ताक्षर किए गए। यह कार्यक्रम कला, साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, भारत ने आतंकवाद से निपटने और सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए चौथे दुशांबे प्रक्रिया चरण की मेजबानी के लिए कुवैत की सराहना की।
भारत-कुवैत संबंध
- व्यापार संबंध: वित्त वर्ष 2023-24 में भारत और कुवैत के बीच कुल 10.47 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ था। भारत इस व्यापार में घाटे की स्थिति में है।
- ऊर्जा सुरक्षा: वित्त वर्ष 2023-24 में कुवैत ने भारत की कुल ऊर्जा जरूरतों का 3% प्रदान किया था। यह भारत का 9वां सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है।
- प्रवासी: कुवैत में लगभग 1 मिलियन भारतीय रहते हैं, जो संख्या और कार्यबल के हिसाब से कुवैत का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है।
खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के बारे में
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