भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ‘भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर रिपोर्ट 2023-24’ जारी की | Current Affairs | Vision IAS
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RBI ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत अपनी यह वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट, में वित्त वर्ष 2023-24 में बैंकिंग क्षेत्रक के प्रदर्शन को रेखांकित किया गया है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs) की स्थिति
    • ऋण वितरण में वृद्धि और लाभप्रदता: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने लगातार छठे वर्ष बेहतर लाभ अर्जित किया है।
    • परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार: सितंबर 2024 में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (GNPAs) घटकर 2.5% रह गई थी। यह पिछले 13 वर्षों में सबसे कम NPA स्तर है। 
    • पूंजी प्रतिधारण में सुधार: सितंबर 2024 में जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (CRAR) 16.8% था। यह विनियामक आवश्यकताओं के अनुरूप है। 
      • RBI ने बैंकों के लिए न्यूनतम 9% का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) बनाए रखना अनिवार्य किया हुआ है। हालांकि, BASEL-III मानदंडों में न्यूनतम 8% का CRAR ही बनाए रखना आवश्यक किया गया है। 
        • CRAR को पूंजी पर्याप्तता अनुपात भी कहा जाता है। यह किसी बैंक के जोखिम वाले ऋण की तुलना में उसके पास उपलब्ध पूंजी या नेट वर्थ का अनुपात है।
  • शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) की स्थिति: इनकी संयुक्त बैलेंस शीट का विस्तार हुआ है। साथ ही, लगातार तीसरे वर्ष इनकी परिसंपत्ति की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।
  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC): इनके ऋण वितरण में दहाई अंक की वृद्धि दर्ज की गई है। सितंबर 2024 तक इनका सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (GNPAs) अनुपात कम होकर 3.4% रह गया था।
  • तकनीकी प्रगति: बैंकों ने यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (ULI) और ओपन क्रेडिट इनेबलमेंट नेटवर्क (OCEN) जैसे नए प्लेटफॉर्म्स अपनाए हैं। इनका उद्देश्य अधिक लघु व्यवसायों और व्यक्तियों को ऋण देना है। 
  • वित्तीय समावेशन: आगामी “राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन रणनीति (NSFI) 2025-30” नई चुनौतियों का समाधान करते हुए वित्तीय समावेशन को मजबूत करेगी।

रिपोर्ट में रेखांकित मुख्य चिंताएं

  • रिपोर्ट में बैंकिंग में बढ़ती धोखाधड़ी के बारे में चिंता व्यक्त की गई है। 
    • अप्रैल-सितंबर 2024 के दौरान कुल 21,367 करोड़ रुपये मूल्य की धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की समान अवधि की 2,623 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से बहुत अधिक है। 
    • बैंकिंग में बढ़ती धोखाधड़ी से बैंकों की प्रतिष्ठा, संचालन और वित्तीय स्थिरता के समक्ष खतरा उत्पन्न हुआ है।  
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