केंद्र ने 'दूरसंचार (संदेशों के विधि सम्मत अवरोधन हेतु प्रक्रियाएं और रक्षोपाय) नियम, 2024' अधिसूचित किए | Current Affairs | Vision IAS
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केंद्र ने 'दूरसंचार (संदेशों के विधि सम्मत अवरोधन हेतु प्रक्रियाएं और रक्षोपाय) नियम, 2024' अधिसूचित किए

Posted 27 Dec 2024

12 min read

केंद्र ने दूरसंचार अधिनियम, 2023 के तहत नए नियम अधिसूचित किए हैं। ये नियम भारतीय टेलीग्राफ नियम, 1951 के नियम 419 और 419A को प्रतिस्थापित करेंगे।

मुख्य नियमों पर एक नजर 

  • अवरोधन आदेश जारी करने की शक्ति:
    • सक्षम प्राधिकारी: इसमें केंद्र स्तर पर गृह सचिव और राज्य सरकार के स्तर पर गृह सचिव शामिल हैं। साथ ही, अपरिहार्य परिस्थितियों में ऐसा आदेश कानून द्वारा अधिकृत  संयुक्त सचिव पद के स्तर या उससे ऊंचे पद के अधिकारी भी जारी कर सकते हैं।
    • अधिकृत एजेंसी: इसमें केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत की गई अन्य एजेंसी शामिल है। 
    • दूरदराज के क्षेत्रों या परिचालन आवश्यकताओं के मामले में: केंद्रीय या राज्य स्तर की अधिकृत एजेंसी के प्रमुख या दूसरे वरिष्ठतम अधिकारी आदेश जारी कर सकते हैं।
  • अवरोधन अवधि (Interception Duration): आदेश 60 दिनों के लिए मान्य होंगे, जिन्हें अधिकतम 180 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।
  • अवरोधन से संबंधित दायित्व: अधिकृत एजेंसियों द्वारा दो नोडल अधिकारी नियुक्त करने होंगे। ये अधिकारी अवरोधन आदेश को दूरसंचार विभाग (DoT) या दूरसंचार सेवा प्रदाता के नोडल अधिकारी को भेजेंगे।
  • रक्षोपाय:
    • समीक्षा समिति: कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में केंद्रीय समीक्षा समिति और राज्य समीक्षा समितियां अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए हर दो महीनों में अवरोधन आदेशों की समीक्षा करेंगी।
    • रिकॉर्ड को नष्ट करना: कार्यात्मक आवश्यकताओं या न्यायालय के निर्देशों के मामले के अलावा अवरोधन रिकॉर्ड को हर छह माह में नष्ट कर दिया जाएगा।

इन नियमों से जुड़ी मुख्य चिंताएं

  • अधिक विवेकाधिकार: अधिकारियों को अधिक अधिकार दिए गए हैं, लेकिन निगरानी सीमित है।
  • न्यायिक या संसदीय निरीक्षण का अभाव: यह केवल कार्यकारी समीक्षा पर निर्भर है।
  • अवरोधन प्रणालियों के परीक्षण में छूट: इससे सरकार द्वारा अनियंत्रित निगरानी की संभावना बढ़ सकती है।

अवरोधन की शक्ति पर न्यायिक निर्णय 

  • दूरसंचार अधिनियम, 2023: ‘सार्वजनिक आपातकाल’ या ‘जन सुरक्षा के हित’ में, सरकार कुछ आधारों पर संदेशों को अवरोधित कर सकती है (इंफोग्राफिक्स देखें)।
  • पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) बनाम भारत संघ और अन्य वाद (1996): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "लोक सुरक्षा" का अर्थ खतरे या जोखिम से मुक्त स्थिति या दशा है। जब तक आम जनता के समक्ष इन दोनों में से कोई भी स्थिति मौजूद न हो, तो टेलीफोन टैपिंग का सहारा नहीं लिया जा सकता है।
  • Tags :
  • दूरसंचार अधिनियम, 2023
  • IT Act 2023
  • भारतीय टेलीग्राफ नियम, 1951
  • पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL)
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