कन्वेंशन को संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों ने आम सहमति से अपनाया है। इसका उद्देश्य साइबर अपराध से निपटने और समाजों को डिजिटल खतरों से बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना है।
- साइबर अपराध के खिलाफ कन्वेंशन को 2025 में हनोई (वियतनाम) में हस्ताक्षर के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
- यह साइबर अपराध पर संयुक्त राष्ट्र का पहला कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन है। यह कन्वेंशन 40 हस्ताक्षरकर्ता राष्ट्रों के अनुसमर्थन के 90 दिन बाद लागू हो जाएगा।
कन्वेंशन के मुख्य प्रावधानों पर एक नजर
- राष्ट्रीय कानून: इसमें सदस्य देशों को अपने लिए घरेलू कानून बनाने का प्रावधान किया गया है। इससे प्राधिकार के बिना सूचना और संचार प्रणालियों का उल्लंघन करना अवैध हो जाएगा।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यह सदस्य देशों को संप्रभु समानता, क्षेत्रीय अखंडता और अन्य देशों के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप के सिद्धांतों का पालन करते हुए साइबर अपराधों की जांच, साक्ष्य साझा करने तथा अभियोजन में सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- यह उचित सुरक्षा उपायों के तहत पर्सनल डेटा के हस्तांतरण की सुविधा के लिए देशों को द्विपक्षीय/ बहुपक्षीय व्यवस्था स्थापित करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है।
- बाल संरक्षण: इसमें देशों से बाल यौन शोषण सामग्री के उत्पादन, बिक्री, वितरण व प्रसारण को अवैध घोषित करने की मांग की गई है।
- मानवाधिकार: पक्षकार राष्ट्र यह सुनिश्चित करेंगे कि कन्वेंशन के तहत उनके दायित्वों का कार्यान्वयन अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अनुरूप हो।
महत्त्व
- यह 'अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा' देकर साइबर अपराध के खिलाफ समाज की रक्षा के लिए एक वैश्विक आपराधिक न्याय नीति स्थापित करेगा।
- यह कन्वेंशन विकासशील देशों को उनकी संप्रभु क्षमताओं का सम्मान करते हुए बढ़ती परिष्कृत साइबर चुनौतियों से निपटने के लिए सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।