भारतीय मानक ब्यूरो ने ‘ई-कॉमर्स- स्वशासन के सिद्धांत और दिशा-निर्देश’ पर वर्किंग ड्राफ्ट जारी किया | Current Affairs | Vision IAS
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स ड्राफ्ट में ई-कॉमर्स स्वशासन के लिए सिद्धांतों और दिशा-निर्देशों का एक संपूर्ण सेट प्रस्तावित किया गया है। इसका उद्देश्य नैतिक व जिम्मेदार ई-कॉमर्स इकोसिस्टम का समर्थन करना है।

महत्वपूर्ण सिद्धांत  

ड्राफ्ट में ई-कॉमर्स लेन-देन के सिद्धांतों को तीन चरणों में विभाजित किया गया है। ये चरण हैं: लेन-देन से पहले के सिद्धांत, अनुबंध निर्माण के सिद्धांत और लेन-देन के बाद के सिद्धांत। आइए, इन पर विस्तार से जानते हैं:

  • लेन-देन से पहले के सिद्धांत (Pre-Transaction Principles)
    • ई-कॉमर्स इकाई को विक्रेताओं के व्यवसाय का स्थान, प्रबंधन में शामिल मुख्य व्यक्ति, वित्तीय जानकारी जैसे विवरणों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करनी चाहिए।  
    • प्रासंगिक जानकारी को सार्वजनिक करना (डिस्क्लोजर) अनिवार्य है। इसमें उत्पाद/ सेवा का विवरण, अंतिम उपभोक्ता-मूल्य, रद्द करने/ विनिमय/ वापसी संबंधी नीतियां, सुरक्षा चेतावनी, विक्रेता का विवरण, उत्पाद का मूल देश (Country of Origin) जैसी जानकारियां शामिल हैं। 
  • अनुबंध निर्माण के सिद्धांत (Contract Formation Principles):
    • ई-कॉमर्स इकाई को उपभोक्ता की स्पष्ट और सूचित सहमति रिकॉर्ड करनी चाहिए। यह सहमति पहले से टिक किए गए चेकबॉक्स के रूप में नहीं होनी चाहिए।
    • उपभोक्ता द्वारा अंतिम भुगतान से पहले लेन-देन की समीक्षा का विकल्प उपलब्ध कराना चाहिए।
    • रद्द करने, उत्पाद वापसी, एवं रिफंड के लिए एक पारदर्शी प्रक्रिया और नीतियां होनी चाहिए। इसमें शुल्क और समय-सीमा का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए।
    • सभी लेन-देनों का रिकॉर्ड सुरक्षित रखना चाहिए। साथ ही एन्क्रिप्शन, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन जैसी सुरक्षित भुगतान प्रणालियों  का उपयोग करना चाहिए। 
  •  लेन-देन के बाद के सिद्धांत (Post-Transaction Principles):
    • उत्पाद वापसी, एक्सचेंज, रिफंड या विवाद समाधान प्रक्रिया को आसान एवं उपभोक्ता-अनुकूल बनाना चाहिए। इसमें संपर्क के लिए सिंगल पॉइंट टोल-फ्री नंबर, समाधान में लगने वाले समय का उल्लेख, शिकायत निवारण अधिकारी आदि की व्यवस्था होनी चाहिए। 
  • सामान्य सिद्धांत:
    • प्रतिबंधित उत्पादों की बिक्री पर रोक होनी चाहिए तथा इसके लिए निगरानी तंत्र स्थापित करना चाहिए। साथ ही, विक्रेता की पृष्ठभूमि की जांच की जानी चाहिए।
    • निष्पक्ष व्यवसाय पद्धतियों का पालन करना चाहिए। साथ ही, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी पक्षपातपूर्ण व्यवहार न हो, और पैकेजिंग मानदंडों का पालन हो।
    • नकली उत्पादों की बिक्री से बचने के लिए उचित प्रावधान होने चाहिए। साथ ही, बौद्धिक संपदा अधिकार के उल्लंघन की रिपोर्टिंग की प्रक्रिया होनी चाहिए। 

भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्रक 

  • विकास की संभावनाएं: इसके 2030 तक 325 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
    • वित्त वर्ष 2023 में ई-कॉमर्स ने 60 बिलियन डॉलर के सकल व्यापार मूल्य (GMV) को पार कर लिया था। यह पिछले वर्ष की तुलना में 22% की वृद्धि को दर्शाता है।
  • नीतिगत  समर्थन:
    • B2B ई-कॉमर्स में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी गई है।
    • ई-कॉमर्स के मार्केटप्लेस मॉडल में स्वचालित मार्ग के तहत 100% FDI की अनुमति दी गई है।
    • सरकार का लक्ष्य 2030 तक ई-कॉमर्स निर्यात को 200-300 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना है।
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