इस रिपोर्ट में कृषि में नाइट्रोजन के उपयोग और इसकी वजह से कृषि-खाद्य प्रणालियों में उत्पन्न चुनौतियों का विस्तार से विश्लेषण किया गया है। साथ ही, इसमें नाइट्रोजन के संधारणीय उपयोग के लिए कुछ सुझाव भी प्रस्तुत किए गए हैं।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- नाइट्रोजन चक्र में परिवर्तन: वर्तमान में मनुष्य कृषि और औद्योगिक गतिविधियों के माध्यम से प्रत्येक वर्ष पृथ्वी की भू-सतह में लगभग 150 टेराग्राम (Tg) अभिक्रियाशील नाइट्रोजन निर्मुक्त करता है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण यह मात्रा साल 2100 तक बढ़कर 600 टेराग्राम प्रति वर्ष हो सकती है। इससे पर्यावरण में नाइट्रोजन-हानि (Nitrogen loss) बढ़ जाएगी।
- नाइट्रोजन हानि: यह निम्नलिखित रूपों में होती है:
- अमोनिया (NH3) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) का उत्सर्जन होता है, जो वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।
- नाइट्रस ऑक्साइड (N2O), का उत्सर्जन होता है। यह एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस (GHG), है और
- नाइट्रेट्स (NO3–) का मृदा और जल स्रोतों में रिसाव बढ़ता है, जो यूट्रोफिकेशन और अम्लीकरण का कारण बनता है। इससे पारिस्थितिकी-तंत्र को नुकसान पहुंचता है।
- कृषि-खाद्य प्रणालियों की भूमिका: मानव-जनित नाइट्रोजन उत्सर्जन में पशुधन क्षेत्रक की एक-तिहाई हिस्सेदारी है।
- इसमें सिंथेटिक उर्वरक, भूमि-उपयोग में बदलाव और गोबर से उत्सर्जन नाइट्रोजन प्रदूषण के मुख्य कारण हैं।
- नाइट्रोजन के उपयोग का दोहरा प्रभाव:
- कृषि में नाइट्रोजन का संतुलित उपयोग मृदा के क्षरण को रोकता है और पोषक तत्वों की कमी की भरपाई करता है। साथ ही, फसल की पैदावार में भी वृद्धि होती है।
- इसके अत्यधिक उपयोग से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती है, वायु और जल की गुणवत्ता खराब होती है, तथा समताप मंडल में ओज़ोन परत (Stratospheric Ozone) का क्षरण होता है।
संधारणीय नाइट्रोजन-प्रबंधन (Sustainable Nitrogen Management)इसका उद्देश्य बाहर से नाइट्रोजन के उपयोग को रोकना, वातावरण में नाइट्रोजन-हानि को कम करना तथा उत्पादन प्रणाली के भीतर नाइट्रोजन की रीसाइक्लिंग को बढ़ाना है। रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें:
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