इस योजना के निम्नलिखित लक्ष्य हैं-
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) हीरा निर्यातकों को समर्थन देना;
- रोजगार सृजन करना;
- घरेलू उद्योग की सुरक्षा करना; और
- भारत के हीरा क्षेत्रक में व्यापार को आसान बनाकर वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना।
डायमंड इम्प्रेस्ट ऑथराइजेशन (DIA) योजना
- इसे विदेश व्यापार नीति, 2023 के तहत पेश किया गया है।
- उद्देश्य: नैचुरल कट और पॉलिश किए गए हीरों के शुल्क मुक्त आयात के लिए सुव्यवस्थित तंत्र प्रदान करना।
- योजना की मुख्य विशेषताएं:
- यह योजना ¼ कैरेट (25 सेंट) से कम वजन के नेचुरल कट और पॉलिश किए हुए हीरों के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देती है।
- निर्यात दायित्व: इसमें 10% मूल्य संवर्धन के साथ निर्यात दायित्व को अनिवार्य किया गया है।
- पात्रता: इसमें ऐसे सभी हीरा निर्यातक शामिल होंगे, जिनके पास दो सितारा एक्सपोर्ट हाउस का दर्जा या उससे ऊपर का दर्जा हो। साथ ही, जिनका प्रति वर्ष 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात हो।
- किस पर लागू नहीं होगी: यह योजना प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरों (LGDs) पर लागू नहीं होगी।
- करों से छूट: मूल सीमा शुल्क, अतिरिक्त सीमा शुल्क, शिक्षा उपकर, एंटी-डंपिंग शुल्क, प्रतिपूरक शुल्क, आदि।
महत्वपूर्ण आंकड़े (वैश्विक व्यापार अनुसंधान पहल)
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हालिया दिनों में हीरा उद्योग अनेक वैश्विक और आंतरिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसके कारण निर्यात में भारी गिरावट आई है और कामगारों की नौकरियां चली गई हैं।
हीरा उद्योग के समक्ष चुनौतियां
- वैश्विक: संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और यूरोप में पॉलिश किए गए हीरों की मांग में भारी गिरावट आई है। साथ ही, उपभोक्ताओं की प्राथमिकता प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरों की ओर बढ़ी है।
- आंतरिक: पॉलिश किए गए हीरों का बड़ा स्टॉक नहीं बिका है, परिचालन लागत बढ़ी है, वैश्विक हीरा व्यापार में मार्जिन कम है, भारत में उच्च कॉर्पोरेट कर व्यवस्था और बैंकों से कम ऋण भी एक समस्या है।
आगे की राह
- हीरों के व्यापार के संवर्धन के लिए अग्रलिखित उपाय किए जाने चाहिए- कट और पॉलिश किए गए हीरों के निर्यातकों के लिए निर्यात ऋण अवधि का विस्तार, विदेशी कच्चा हीरा विक्रेताओं को कॉर्पोरेट कर से छूट, प्रयोगशाला में विकसित हीरा उद्योग का उचित विनियमन।