इन छह व्यापक सिद्धांतों को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने प्रस्तुत किया है। इनका उद्देश्य भारत और EU के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी का निर्माण करना है।
इन छह व्यापक सिद्धांतों के बारे में
- लोकतंत्र, कानून का शासन और स्वतंत्र न्यायपालिका जैसे साझा मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करना।

- व्यापार बाधाओं को दूर करते हुए वाणिज्यिक रूप से सार्थक, निष्पक्ष और न्यायसंगत व्यापार का एजेंडा तैयार करना।
- जीरो डिफेक्ट और जीरो इफेक्ट उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम पद्धतियों व सुसंगत मानकों का आदान-प्रदान करना।
- अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का विकास करना, महत्वपूर्ण कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करना तथा लचीली आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना।
- साझा लेकिन विभेदित जिम्मेदारी (CBDR) के अनुरूप व्यापार और सतत विकास में सहयोग करना।
- परस्पर विकास एवं संवृद्धि हेतु साझेदारी करना।
भारत के लिए यूरोपीय संघ (EU) का महत्व
- चीन से संबंधित चिंताएं: इसमें बेल्ट एंड रोड पहल के माध्यम से चीन का वैश्विक विस्तार, एशिया में सैन्य हस्तक्षेप, बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का दुरुपयोग जैसे मुद्दे शामिल हैं।
- आर्थिक सुरक्षा: भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बहुत अधिक है और लगातार बढ़ रहा है। साथ ही, भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इनपुट के लिए चीन पर बहुत अधिक निर्भर भी है।
- महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां: यूरोपीय संघ की साइबर, अंतरिक्ष, क्वांटम प्रौद्योगिकी, सिंथेटिक बायोलॉजी जैसे उभरते क्षेत्रकों में क्षमताओं से भारत को लाभ हो सकता है।
भारत-यूरोपीय संघ (EU) संबंध
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