हाल ही में, ‘जापान-भारत-अफ्रीका बिजनेस फोरम’ को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने क्षमता निर्माण, कौशल विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से अफ्रीका के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। यह एप्रोच चीन के ‘शोषण-आधारित मॉडल’ से बिल्कुल अलग है।
- उन्होंने कहा कि भारत पारस्परिक विकास को बढ़ावा देता है, जबकि चीन अफ्रीका में रणनीतिक खनिज भंडार पर नियंत्रण प्राप्त करने में रुचि रखता है।
- गौरतलब है कि चीन की नीति देशों को विकास सहायता के नाम पर ऋण-जाल में फंसाने की रही है, जबकि भारत शुल्क मुक्त व्यापार को प्राथमिकता देता है।

भारत-अफ्रीका संबंधों का बदलता स्वरूप
- आर्थिक क्षेत्रक में बढ़ती भागीदारी: भारत अफ्रीका का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार देश है। दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय व्यापार मूल्य लगभग 100 बिलियन डॉलर का है।
- अफ्रीका में सतत विकास को बढ़ावा: भारत ने अफ्रीका को 12 बिलियन डॉलर की रियायती वित्तीय सहायता प्रदान की है। इससे अफ्रीका में रेलवे, ऊर्जा, कृषि जैसे क्षेत्रकों की 200 से अधिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषण प्राप्त हो रहा है।
- अफ्रीका में भारत द्वारा शुरू की गई प्रमुख पहलें हैं; भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम और पैन-अफ्रीकी ई-नेटवर्क, ई-विद्या भारती, ई-आरोग्य भारती आदि।
- अफ्रीका महाद्वीप का वैश्विक स्तर पर प्रतिनिधित्व बढ़ाना: भारत ने अपनी G20 की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को G20 में स्थायी सदस्यता प्रदान करने में मुख्य भूमिका निभाई थी।
- भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन और भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग फोरम (FIPIC) जैसे प्लेटफॉर्म्स आपसी सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
- भारत-जापान-अफ्रीका सहयोग: जापान के निवेश, भारत की तकनीक और अफ्रीका की प्रतिभा के एकीकरण से साझा विकास को बढ़ावा मिल रहा है।
- 2017 में लॉन्च किया गया "एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर (AAGC)" लोकतांत्रिक, सतत और समावेशी विकास को आगे बढ़ाता है।
अफ्रीका के साथ भारत की भागीदारी क्यों महत्वपूर्ण है?
- एशिया के विकास के बाद, आगामी दशकों को ‘अफ्रीकी युग’ माना जा रहा है।
भारत-अफ्रीका सहयोग वैश्विक शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। (इन्फोग्राफिक देखें)।