रेलवे संबंधी स्थायी समिति की दूसरी रिपोर्ट (2024-25) लोक सभा में प्रस्तुत की गई | Current Affairs | Vision IAS
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इस दूसरी रिपोर्ट में रेल मंत्रालय की 'अनुदान मांगों (2024-25)' पर पहली रिपोर्ट में की गई  सिफारिशों पर सरकार की प्रतिक्रिया का मूल्यांकन किया गया है।

रिपोर्ट में उजागर किए गए प्रमुख मुद्दे

  • कम निवल राजस्व: यह यात्री किराए पर उच्च सब्सिडी के कारण है। उदाहरण के लिए- यात्री राजस्व (80,000 करोड़ रुपये) माल ढुलाई राजस्व (1,80,000 करोड़ रुपये) की तुलना में काफी कम है।
  • अपर्याप्त पूंजीगत व्यय: भारतीय रेलवे सरकारी बजटीय सहायता पर निर्भर है तथा अतिरिक्त बजटीय संसाधनों (EBR) से उसे सीमित योगदान मिलता है। उदाहरण के लिए- 2024-25 में EBR योगदान केवल 10,000 करोड़ रुपये रहा। 
  • मालगाड़ियों की औसत गति का कम होना: यह गति केवल 25.14 किमी/ घंटा है। इससे माल परिवहन की दक्षता प्रभावित होती है।
  • भूमि अधिग्रहण में देरी: इससे महत्वपूर्ण अवसंरचना परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में बाधा आ रही है। उदाहरण के लिए- नई रेल लाइनें बिछाना।
  • सुविधाओं की कमी: रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण की मंद गति तथा कई स्टेशनों पर अभी भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
  • अन्य मुद्दे: इसमें अपर्याप्त गैर-किराया राजस्व सृजन; विद्युतीकरण और ऊर्जा दक्षता में धीमी प्रगति आदि शामिल हैं। 

रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें

  • डायनेमिक प्राइसिंग मॉडल लागू करना चाहिए। साथ ही, गैर-किराया राजस्व स्रोतों जैसे- विज्ञापन और स्टेशन लीजिंग आदि की संभावनाओं को तलाशना चाहिए।
  • सरकारी धन पर निर्भरता कम करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के लक्ष्यों को बढ़ाया जाना चाहिए।
  • सभी उच्च घनत्व वाले रेल मार्गों पर कवच प्रणाली को लागू करने में तेजी लानी चाहिए, सिग्नलिंग प्रणालियों को उन्नत करना चाहिए आदि।
  • समर्पित माल-ढुलाई गलियारों (DFCs) के निर्माण में तेजी लानी चाहिए।
  • भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए राज्य सरकारों और स्थानीय सांसदों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
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