चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) ने सशस्त्र बलों के लिए व्यापक काउंटर-UAS सिस्टम (C-UAS) की आवश्यकता का उल्लेख किया | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

    चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) ने सशस्त्र बलों के लिए व्यापक काउंटर-UAS सिस्टम (C-UAS) की आवश्यकता का उल्लेख किया

    Posted 11 Mar 2025

    13 min read

    CDS ने आधुनिक युद्ध में मानव रहित हवाई प्रणालियों (UASs) के बढ़ते खतरे को देखते हुए समाधान के रूप में व्यापक काउंटर-UAS प्रणाली के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। 

    • परिभाषा: C-UAS एक ऐसी प्रणाली है, जो ड्रोन्स और अन्य UAS को डिटेक्ट करती है, उन्हें ट्रैक करती है और उन्हें निष्क्रिय करती है। 

    मानव रहित हवाई प्रणालियों (UASs) के कारण होने वाले खतरे 

    • सामरिक खतरा: छोटे ड्रोन्स का उपयोग कर्मियों और उपकरणों पर स्वार्म अटैक (एक साथ कई ड्रोन हमले) के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए- इसी वर्ष यूक्रेनी ड्रोन्स के क्लस्टर ने रूस के ब्लैक सी पोर्ट तुप्से पर हमला किया था।
    • रणनीतिक खतरा: UAS विद्युत ग्रिड और संचार नेटवर्क सहित महत्वपूर्ण अवसंरचनाओं को निशाना बनाकर उन्हें नष्ट कर सकता है। उदाहरण के लिए- हूती विद्रोहियों ने ड्रोन्स का उपयोग करके सऊदी अरब के तेल प्रतिष्ठानों पर हमला किया था, जिससे भारी नुकसान हुआ था।
    • परिचालन संबंधी खतरा: UAS के बढ़ते प्रसार के कारण आतंकवादी समूह हमले, निगरानी करने आदि में सक्षम हो रहे हैं।

    मानव रहित हवाई प्रणालियों (UASs) के खिलाफ जवाबी उपाय

    • रिमोट आईडी: यह सभी व्यावसायिक UAS के लिए उड़ान के दौरान पहचान को अनिवार्य बनाता है।
    • नो-फ्लाई फ़र्मवेयर: एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो किसी ड्रोन या अन्य उड़ने वाले उपकरण को कुछ विशेष क्षेत्रों (नो-फ्लाई जोन) में उड़ने से रोकता है। 
    • डिटेक्शन: इसके तहत रडार, रेडियो फ्रीक्वेंसी सेंसर जैसी विविध तकनीकों का उपयोग करके UAS का शीघ्र और बहुत अधिक दूरी से भी पता लगाया जा सकता है। 
    • न्यूट्रलाइजेशन: UAS खतरों को निष्क्रिय करने के लिए नॉन-काइनेटिक (जैसे- RF जैमिंग, स्पूफिंग आदि) और काइनेटिक (जैसे- मिसाइल, जाल, प्रोजेक्टाइल आदि) तरीके अपनाए जा सकते हैं।
    • वैश्विक सर्वोत्तम पद्धतियों को अपनाना: उदाहरण के लिए- इजरायल का 'ड्रोन डोम सिस्टम', एक काउंटर-UAV प्रणाली है।

    भारत द्वारा उठाए गए कदम

    • ड्रोन डिटेक्ट, डिटर एंड डिस्ट्रॉय (D4S) सिस्टम: यह प्रणाली DRDO ने विकसित की है। यह माइक्रो ड्रोन्स का 3 किलोमीटर तक पता लगाकर उन्हें जाम कर सकती है। यह लेजर का उपयोग करके 1 से 2.5 किलोमीटर तक दूर मौजूद लक्ष्य को नष्ट कर सकती है।
    • ड्रोन गार्ड सिस्टम: यह प्रणाली भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने विकसित की है। इस प्रणाली को घुसपैठ करने वाले ड्रोन्स को डिटेक्ट करने, ट्रैक करने और निष्क्रिय करने के लिए डिजाइन किया गया है।
    • पायलट रहित लक्ष्य विमान- लक्ष्य/ LAKSHYA: यह एक पुन: प्रयोज्य हाई-सबसोनिक हवाई लक्ष्य प्रणाली है। इसमें गैस टरबाइन इंजन का उपयोग होता है और इसे भूमि या जहाज से लॉन्च किया जा सकता है।
    • Tags :
    • CDS
    • काउंटर-UAS प्रणाली
    • D4S
    Watch News Today
    Subscribe for Premium Features