कर्नाटक सरकार ने ऑनलाइन गैंबलिंग और बेटिंग प्लेटफॉर्म्स को विनियमित करने के लिए एक समिति गठित की है। इसका उद्देश्य धोखाधड़ी रोकना और वैध गेमिंग क्षेत्रक को समर्थन प्रदान करना है।
- गैंबलिंग को एक ऐसे खेल के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें तीन प्रमुख तत्व शामिल होते हैं: दांव लगाना, संयोग और इनाम।
ऑनलाइन बेटिंग को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है?
- बेहतर निगरानी और प्रवर्तन: विधि आयोग की 276वीं रिपोर्ट के अनुसार, पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना प्रभावी नहीं रहा है। क़ानून द्वारा विनियमित बेटिंग क्षेत्रक एक बेहतर समाधान हो सकता है।
- मैच फिक्सिंग को रोकना: न्यायमूर्ति लोढा समिति के अनुसार बेटिंग को विनियमित करने से बेटिंग में खिलाड़ियों की अनैतिक भागीदारी को कम करने में मदद मिल सकती है।
- काले धन पर अंकुश: फिक्की (FICCI) सरकार से बेटिंग को वैध बनाने का आग्रह कर रहा है, तथा अनुमान है कि सरकार को इससे 12,000-19,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा।
ऑनलाइन बेटिंग और गैंबलिंग को विनियमित करने से संबंधित मुद्दे
- कौशल का खेल: खेल में बेटिंग वैचारिक रूप से हॉर्स राइडिंग में बेटिंग जैसा है, इसलिए भारत में खेल के तहत बेटिंग की अनुमति दी जानी चाहिए।
- आर.एम.डी चमारबागवाला बनाम भारत संघ वाद (1957) में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि कोई गतिविधि प्रमुख रूप से कौशल पर आधारित हो, तो वह व्यापार की श्रेणी में आती है और अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत संरक्षित है।
- गैंबलिंग राज्य सूची का विषय है: यह केंद्र और राज्यों के मध्य विषयों के विभाजन से संबंधित संघीय सिद्धांत का उल्लंघन होगा।
- पर्यटन पर प्रभाव: अधिकांश राज्यों ने स्थानीय लोगों के लिए इस पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन गोवा जैसे राज्यों में यह पर्यटकों के लिए एक आकर्षण है।
मौजूदा विनियामकीय फ्रेमवर्क
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