DRDO ने आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में नेशनल ओपन एयर रेंज (NOAR) में Mk-II(A) लेजर- डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
- इस परीक्षण के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत दुनिया का ऐसा चौथा देश बन गया है, जिसके पास उन्नत लेजर हथियार क्षमताएं हैं।
Mk-II(A) DEW सिस्टम के बारे में
- इसे DRDO की हैदराबाद स्थित संस्था सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज (CHESS) ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है।
- कार्य प्रणाली: एक बार जब रडार या इनबिल्ट इलेक्ट्रो ऑप्टिक (EO) सिस्टम द्वारा लक्ष्य का पता लगा लिया जाता है, तब यह सिस्टम उस लक्ष्य को निष्क्रिय करने के लिए तीव्र उच्च-ऊर्जा युक्त 30 किलोवाट लेजर बीम छोड़ता है, जिससे संरचनात्मक विफलता होती है।
- विशेषताएं: यह अत्यधिक सटीकता से तीव्र गति से हमला करता है। इससे कुछ सेकंड के भीतर ही लक्ष्य ध्वस्त हो जाता है।
DEW सिस्टम का महत्त्व:
- युद्ध की आर्थिक संरचना में बदलाव की क्षमता: यह महंगे गोला-बारूद पर निर्भरता कम कर सकता है। साथ ही, लक्ष्य के अलावा अन्य ऑब्जेक्ट्स (कोलैटरल डैमेज) को होने वाले नुकसान को भी कम कर सकता है।
- इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को निष्क्रिय करने की क्षमता: हाई-पॉवर माइक्रोवेव (HPM) हथियार बिना किसी भौतिक विनाश के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, रडार्स और संचार को निष्क्रिय कर सकते हैं।
- रक्षात्मक और आक्रामक दोनों उपयोगों के लिए: उदाहरण के लिए- सामरिक वायु रक्षा, एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा और एंटी-सैटेलाइट (A-SAT) मिशन में इसका उपयोग किया जा सकता है। कम शक्ति वाले लेज़र भीड़ नियंत्रण और समुद्री लुटेरों को रोकने में उपयोगी हो सकते हैं।
डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स के बारे में
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