सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश-केंद्रित छवि को बदलने का समय आ गया है” | Current Affairs | Vision IAS
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सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश-केंद्रित छवि को बदलने का समय आ गया है”

Posted 26 May 2025

14 min read

सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को और अधिक लोकतांत्रिक ढंग से कार्य करना चाहिए, जैसा कि देश के हाई कोर्ट्स समितियों और प्रशासनिक निकायों के माध्यम से करते हैं।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) का कद/ ओहदा (केस लॉ: राजस्थान राज्य बनाम प्रकाश चंद वाद)

  • भारत का मुख्य न्यायाधीश भारतीय न्यायपालिका में सर्वोच्च रैंक का अधिकारी होता है। एक न्यायाधीश के रूप में CJI का ओहदा ‘प्राइमस इंटर पैरेस’ (‘बराबरी वालों में प्रथम अर्थात् फर्स्ट अमंग इक्वल्स’) जैसा होता है। 
  • अपने अन्य कर्तव्यों एवं दायित्वों के निर्वहन के दौरान, CJI की स्थिति ‘सुई जेनेरिस’ की तरह होती है - अर्थात् CJI की स्थिति ‘अपने आप में विशिष्ट और अद्वितीय’ मानी जाती है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास “अनुपातहीन/ असमान” शक्ति

  • मास्टर ऑफ द रोस्टर: CJI के पास पीठ का गठन करने और मामलों को आवंटित करने का विशेषाधिकार होता है, जो न्यायिक निर्णयों की दिशा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। {केस लॉ: शांति भूषण बनाम भारत का सुप्रीम कोर्ट (2018) वाद}
  • संविधान पीठ की नियुक्ति: CJI अक्सर संविधान पीठ (Constitutional Benches) से जुड़े मामलों में स्वयं को शामिल करता है। इस प्रकार वह प्रमुख निर्णयों को नियंत्रित करता है।
    • उदाहरण के लिए: संविधान पीठों के मामलों में मुख्य न्यायाधीश (CJI) का निर्णय आम तौर पर बहुमत के साथ होता है। 1950 से अब तक, केवल 13 बार ऐसा हुआ है कि किसी CJI ने संविधान पीठ के मामलों में असहमति जताई है।
  • केस लिस्टिंग पर नियंत्रण: CJI के पास अप्रत्यक्ष रूप से पीठ के गठन को रोकने की शक्ति होती है, जिससे किसी मामले की सुनवाई अनिश्चितकाल तक टाली जा सकती है। यह विवादास्पद मामलों में निर्णय को लंबे समय तक टालने का माध्यम बन सकता है, जिससे समय पर न्याय मिलने पर असर पड़ता है।
  • कोर्ट और रजिस्ट्री की कार्यप्रणाली निर्धारित करने की प्रशासनिक शक्ति विशेष रूप से भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास होती है।

सुप्रीम कोर्ट को लोकतांत्रिक बनाने के लिए उठाए गए कदम

  • न्यायाधीशों के रोस्टर को सार्वजनिक करना (2018): वर्ष 2018 में केस आवंटन को लेकर उठी चिंताओं के बाद तत्कालीन CJI ने न्यायाधीशों के रोस्टर को सार्वजनिक किया और विषय-आधारित रोस्टर प्रणाली की शुरुआत की।
  • CJI को ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ घोषित किया गया (2019): पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने RTI  अधिनियम के तहत CJI के कार्यालय को ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ घोषित किया (सुभाष चंद्र अग्रवाल वाद)।
  • न्यायाधीशों की संपत्ति को सार्वजनिक करना: सुप्रीम कोर्ट में अपनी वेबसाइट पर न्यायाधीशों की संपत्ति को सार्वजनिक करना अनिवार्य कर दिया है।
  • न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता (2025): सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के लिए न्यायिक नियुक्ति की प्रक्रिया को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया, जिससे जन जागरूकता को बढ़ावा मिला है।
  • Tags :
  • मुख्य न्यायाधीश-केंद्रित छवि
  • राजस्थान राज्य बनाम प्रकाश चंद वाद
  • सुई जेनेरिस
  • मास्टर ऑफ द रोस्टर
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