नीति आयोग की शासी परिषद
हाल ही में, प्रधान मंत्री ने नीति आयोग के शासी परिषद की 10वीं बैठक की अध्यक्षता की।
- नीति आयोग एक सरकारी सलाहकार निकाय या थिंक टैंक है। इसका गठन 1 जनवरी, 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक प्रस्ताव के माध्यम से किया गया था। यह कोई संवैधानिक या वैधानिक संस्था नहीं है।
शासी परिषद (Governing Council) के बारे में
- सदस्य: भारत के प्रधान मंत्री (अध्यक्ष); सभी राज्यों और विधान-मंडल वाले केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री; अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल, इत्यादि।
- उत्पत्ति: पहली बार 2015 में गठित और 2021 में पुनर्गठित।
- उद्देश्य: सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने तथा राष्ट्रीय विकास एजेंडे के त्वरित क्रियान्वयन के लिए एक ऐसा मंच उपलब्ध कराना जहाँ अंतर-राज्यीय, अंतर-विभागीय और केंद्र-राज्य से जुड़े मुद्दों पर समन्वयपूर्वक विचार-विमर्श किया जा सके।
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- नीति आयोग
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Articles Sources
ओपन एकरेज लाइसेंसिंग नीति
ONGC ने मुंबई अपतटीय बेसिन में तेल व गैस की आशाजनक खोज की है।
- इन खोजों का नाम सूर्यमणि और वज्रमणि रखा गया है, जो OALP व्यवस्था के तहत आवंटित ब्लॉकों में की गई हैं।
- मुंबई अपतटीय बेसिन भारत के पश्चिमी तट से लगभग 165 कि.मी. दूर अरब सागर में स्थित है।
ओपन एकरेज लाइसेंसिंग नीति (OALP) के बारे में
- उत्पत्ति: इसे 2017 में हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (HELP) के एक भाग के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
- मंत्रालय: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय
- उद्देश्य: तेल व गैस अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों में तेजी लाना।
- यह पहल कंपनियों को यह सुविधा देती है कि वे सरकार द्वारा औपचारिक बोली प्रक्रिया की प्रतीक्षा किए बिना स्वयं उपयुक्त अन्वेषण ब्लॉकों का चयन कर सकें और कार्य आरंभ कर सकें।
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- OALP
- HELP
- सूर्यमणि
मोरिंगा
विशेषज्ञों का कहना है कि मोरिंगा में भरपूर पोषण और आर्थिक संभावनाएं होने के बावजूद तमिलनाडु के किसान अब तक इसकी व्यावसायिक क्षमताओं का समुचित दोहन नहीं कर सके हैं।
मोरिंगा (Moringa oleifera) के बारे में
- उत्पत्ति और वितरण: यह भारत की स्थानिक प्रजाति है। मोरिंगा को अब एशिया, अफ्रीका और मध्य अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में व्यापक रूप से उगाया जाता है।
- उपनाम: व्यापक उपयोग, उच्च पोषण मूल्य और औषधीय गुणों के कारण इसे अक्सर “चमत्कारी वृक्ष” कहा जाता है।
- इसे उगाने हेतु आदर्श दशाएं
- मृदा: 6.5 से 8 pH वाली गहरी रेतीली दोमट मृदा।
- तापमान: इसके विकास के लिए 25-30 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे अच्छा होता है।
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- मोरिंगा
- चमत्कारी वृक्ष
Arhgap36
अमेरिका और जापान के शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया है कि बिल्लियों के अनोखे नारंगी रंग के फर के पीछे Arhgap36 नामक जीन जिम्मेदार है।
- यह खोज बिल्लियों के स्वास्थ्य, व्यवहार और आनुवंशिकी पर आगे के शोध के लिए नए रास्ते खोलती है।
Arhgap36 जीन के बारे में
- यह बिल्लियों और मनुष्यों सहित स्तनधारियों में X गुणसूत्र पर पाया जाता है।
- कार्य: यह विशेष रूप से पिगमेंटेशन से संबंधित प्रक्रियाओं सहित कोशिकीय प्रक्रियाओं को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही, यह त्वचा, मस्तिष्क और हार्मोन ग्रंथियों जैसे ऊतकों में सक्रिय रहता है।
- नारंगी रंग की बिल्लियों के DNA अनुक्रम में इस जीन का एक भाग नहीं होता, जिसके कारण यह हल्के रंग के पिगमेंट्स के उत्पादन को उत्तेजित करता है।
- Tags :
- Arhgap36
- पिगमेंटेशन
- DNA अनुक्रम
रोटेटिंग डेटोनेशन इंजन
चीन के वैज्ञानिकों ने कथित तौर पर एक रोटेटिंग डेटोनेशन इंजन का परीक्षण किया है, जो वाहनों को ध्वनि की गति से पाँच गुना अधिक, यानी हाइपरसोनिक गति से संचालित करने में सक्षम है।
रोटेटिंग डेटोनेशन इंजन के बारे में
- यह वलय के आकार का एक इंजन है। इसमें डेटोनेशन तरंग वृत्ताकार रूप में घूमती रहती है तथा ईंधन और ऑक्सीकारक के मिश्रण का लगातार दहन होता रहता है।
- इस प्रकार का दहन दबाव को बढ़ाता है और सामान्य गैस टरबाइन इंजन की तुलना में बेहतर प्रोपल्शन दक्षता प्रदान करता है।
- रोटेटिंग डेटोनेशन इंजन काफी कॉम्पैक्ट होते हैं और उच्च आवृत्तियों पर काम करते हैं। साथ ही, इनमें कोई भी मूवेबल पार्ट्स नहीं होते हैं, जिसके चलते ये पारंपरिक इंजनों की तुलना में अधिक दक्ष और सरल हो जाते हैं।
- इनका उपयोग वायु से जमीन, वायु से वायु और सतह से सतह आधारित हथियारों सहित कई सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
- Tags :
- हाइपरसोनिक गति
- रोटेटिंग डेटोनेशन इंजन
सेमी-ट्रांसपेरेंट पेरोव्स्काइट सोलर सेल
IIT बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने एक सेमी-ट्रांसपेरेंट पेरोव्स्काइट सोलर सेल (PSC) विकसित किया है। यह पारंपरिक सोलर सेल्स की तुलना में 25–30% अधिक दक्षता प्रदान सकता है और लागत को लगभग आधा कर सकता है।
सेमी-ट्रांसपेरेंट पेरोव्स्काइट सोलर सेल के बारे में
- संरचना: इसे पारंपरिक सिलिकॉन-आधारित सोलर सेल की ऊपरी परत में लगाया जाता है, जिससे एक 4-टर्मिनल (4T) टैंडम संरचना का निर्माण होता है।
- प्रयुक्त सामग्री और प्रौद्योगिकी: इसमें नीचे के सब-सेल में पारंपरिक सिलिकॉन प्रौद्योगिकी, जबकि ऊपर के सब-सेल में स्वदेशी रूप से विकसित हैलाइड पेरोव्स्काइट सेमीकंडक्टर का उपयोग किया गया है।
- यह उच्च प्रकाश अवशोषण और प्रभावी ऊर्जा रूपांतरण को संभव बनाता है।
- लाभ: पेरोव्स्काइट को स्थानीय रूप से तैयार किया जा सकता है और इसका जीवनकाल लंबा होता है। यह भू-राजनीतिक रूप से संवेदनशील कच्चे माल (चीन द्वारा नियंत्रित कच्चे माल के विपरीत) पर निर्भर नहीं है।
- Tags :
- सेमी-ट्रांसपेरेंट पेरोव्स्काइट सोलर सेल
- सिलिकॉन-आधारित सोलर सेल
- सिलिकॉन प्रौद्योगिकी
नेशनल स्पोर्ट्स रिपॉजिटरी सिस्टम पोर्टल
केंद्रीय युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय देशभर में प्रतिभा पहचान अभियान शुरू करने की योजना बना रहा है। इसके तहत कोई भी नागरिक किसी खिलाड़ी के प्रदर्शन का वीडियो NSRS पोर्टल पर अपलोड कर सकता है।
NSRS पोर्टल के बारे में
- यह एक डिजिटल प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) है। इसका संचालन केंद्रीय युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय के अधीन भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) द्वारा किया जाता है।
- यह ‘खेलो इंडिया - राष्ट्रीय खेल विकास कार्यक्रम योजना’ का हिस्सा है।
- यह पोर्टल खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों, खेल वैज्ञानिकों, प्रशिक्षण केंद्रों, खेल महासंघों, आदि जैसे प्रमुख हितधारकों के लिए एक संपूर्ण डिजिटल समाधान प्रदान करता है।
- इस पोर्टल पर खिलाड़ी, कोच और अकादमी पंजीकरण के बाद एक विशिष्ट संख्या (खेलो इंडिया आईडी- KID) प्राप्त करते हैं।
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- नेशनल स्पोर्ट्स रिपॉजिटरी सिस्टम पोर्टल
- NSRS पोर्टल
- डिजिटल प्रबंधन सूचना प्रणाली
- भारतीय खेल प्राधिकरण
Articles Sources
करणी माता मंदिर
प्रधान मंत्री ने दर्शन करने के उद्देश्य से राजस्थान स्थित करणी माता मंदिर की यात्रा की।
करणी माता मंदिर के बारे में
- यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है।
- यह करणी माता को समर्पित है, जिन्हें मां दुर्गा का अवतार माना जाता है।
- स्थापना: इस मंदिर का निर्माण राव जैतसी ने बीकानेर के राजा की मुगल शासक कामरान पर विजय की याद में करवाया था।
- धार्मिक संप्रदाय: यह मंदिर शाक्त संप्रदाय से संबंधित है।
- अनोखी विशेषता: यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहां हज़ारों चूहे खुलेआम घूमते हैं।
- इतनी बड़ी संख्या में चूहों की मौजूदगी के बावजूद यहां कभी प्लेग नहीं फैला।
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- करणी माता मंदिर
- बीकानेर
- राव जैतसी