प्रधान मंत्री ने पूर्वोत्तर भारत की रणनीतिक अवस्थिति के महत्व को रेखांकित करते हुए, इस क्षेत्र के समग्र विकास के लिए एक नीतिगत रूपरेखा के रूप में ईस्ट/EAST (एम्पावर, एक्ट, स्ट्रेंथ और ट्रांसफॉर्म) विजन प्रस्तुत किया है।
पूर्वोत्तर भारत का रणनीतिक महत्व
- क्षेत्रीय कनेक्टिविटी: पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को मजबूत करते हुए दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए एक गेटवे (द्वार) के रूप में काम करता है।
- उदाहरण के लिए, भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट जैसी प्रमुख परियोजनाएं क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ा रही हैं।
- आर्थिक एकीकरण: अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग और असम में नया सेमीकंडक्टर प्लांट जैसी स्थानीय अवसंरचना परियोजनाएं तेजी से विकसित हो रही हैं। इन पहलों के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत-आसियान व्यापार को अगले दशक में वर्तमान 125 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 200 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- सुरक्षा: पूर्वोत्तर भारत के राज्यों की सीमा चीन, बांग्लादेश, म्यांमार और भूटान से लगती है, जो इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का फ्रंटलाइन क्षेत्र बनाता है।
- उदाहरण के लिए, सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
- अन्य: प्रधान मंत्री ने पूर्वोत्तर के आठ राज्यों को “अष्ट लक्ष्मी” (देवी लक्ष्मी के आठ रूप) कहा है। साथ ही, उन्होंने इस क्षेत्र को जैव-अर्थव्यवस्था, बांस, चाय उत्पादन, पेट्रोलियम, खेल और इको-पर्यटन जैसे कुछ क्षेत्रों के लिए एक उभरता हुआ केंद्र भी कहा है।
पूर्वोत्तर भारत की कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रमुख क्षेत्रीय पहल
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