इस रिपोर्ट में MSME क्षेत्रक के भीतर संरचनात्मक असंतुलन और मध्यम उद्यमों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया है। साथ ही, इसमें इनकी अप्रयुक्त क्षमता का दोहन करने के लिए लक्षित नीतिगत हस्तक्षेप का सुझाव भी दिया गया है।

- MSME क्षेत्रक (वर्गीकरण के लिए ग्राफिक देखें) सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 29% का योगदान देता है। कुल निर्यात में इसकी 40% हिस्सेदारी है। साथ ही, यह 60% से अधिक कार्यबल को रोजगार भी प्रदान करता है।
- हालांकि, इस क्षेत्रक में सूक्ष्म उद्यमों की संख्या अधिक है, जो सभी पंजीकृत MSMEs का लगभग 97% हिस्सा है। इसके बाद लघु उद्यमों (2.7%) और मध्यम उद्यमों (0.3%) का स्थान आता है।
- MSMEs में मध्यम उद्यमों का मात्र 0.3% प्रतिनिधित्व है। इसके बावजूद, भी मध्यम उद्यम MSME आधारित निर्यात में लगभग 40% का योगदान करते हैं।
मध्यम उद्यमों के समक्ष चुनौतियां
- पुरानी तकनीक: 82% मध्यम उद्यमों के पास अपने व्यावसायिक संचालन में एकीकृत करने हेतु उन्नत तकनीकें (उद्योग 4.0 - AI, IoT, आदि) नहीं हैं।
- कौशल विकास योजनाओं का कम उपयोग: 88% मध्यम उद्यम किसी भी सरकारी कौशल विकास या प्रशिक्षण योजना का लाभ नहीं उठा रहे हैं।
- वित्त-पोषण: विश्व बैंक की इंडियन MSME फाइनेंसिंग रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल 37% मध्यम उद्यम ही ऋण प्राप्त करने में सक्षम हैं।
- अनुपालन संबंधी बोझ: श्रम निरीक्षकों, स्वास्थ्य निरीक्षकों आदि सहित विविध प्राधिकरणों द्वारा किए जाने वाले अनेक निरीक्षणों के कारण अनुपालन बोझ बढ़ गया है।
- अपर्याप्त अनुसंधान एवं विकास: केवल 22% मध्यम उद्यम अनुसंधान एवं विकास में शामिल हैं, जबकि बड़े उद्यमों में यह आंकड़ा 60% है।
आगे की राह - लक्षित नीतिगत हस्तक्षेप
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