स्ट्रेटोस्फेरिक एयरोसोल इंजेक्शन (SAI) पर एक नया अध्ययन प्रस्तुत किया गया | Current Affairs | Vision IAS
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स्ट्रेटोस्फेरिक एयरोसोल इंजेक्शन (SAI) पर एक नया अध्ययन प्रस्तुत किया गया

Posted 09 Jun 2025

12 min read

इस नए अध्ययन में मौजूदा विमानों के जरिए स्ट्रेटोस्फेरिक एयरोसोल इंजेक्शन (SAI) को कम लागत पर उपयोग करने की संभावनाओं का पता लगाया गया है।  

  • स्ट्रेटोस्फेरिक एयरोसोल इंजेक्शन (SAI) वास्तव में एक जियो-इंजीनियरिंग तकनीक है। इसमें वांछित उद्देश्य से सौर विकिरण का प्रबंधन (SRM) किया जाता है।

जियो-इंजीनियरिंग तकनीक के बारे में

  • यह पृथ्वी की जलवायु प्रणाली में कृत्रिम रूप से बदलाव करने की प्रक्रिया है। यह बदलाव जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए किया जाता है।
  • इसके निम्नलिखित दो प्रमुख प्रकार हैं:
    • कार्बन डाइऑक्साइड हटाना (CDR): इसमें वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने और स्थायी रूप से किसी अन्य जगह भंडारित करने की पद्धतियां, तरीकें एवं तकनीकें शामिल हैं।
      • उदाहरण: डायरेक्ट एयर कैप्चर एंड कार्बन स्टोरेज (DACCS), बायोचार, इत्यादि। बायोचार का उपयोग वर्टिकल फार्मिंग करने, नाइट्रोजन स्थिरीकरण को बढ़ाने और मृदा की जलधारण क्षमता में वृद्धि करने में किया जाता है।
    • सौर विकिरण प्रबंधन (SRM): इसमें प्रौद्योगिकियों की मदद से पृथ्वी से सूर्य-प्रकाश के परावर्तन को बढ़ाया जाता है। इससे विश्व स्तर पर भू-सतह के औसत तापमान को कम किया जाता है। 

स्ट्रेटोस्फेरिक एयरोसोल इंजेक्शन (SAI) के बारे में 

  • यह सौर विकिरण प्रबंधन की एक तकनीक है। इसमें ज्वालामुखी उद्गार से होने वाले शीतलन प्रभाव की प्रक्रिया का अनुसरण किया जाता है। इस प्रक्रिया में सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) का समताप मंडल में सीधा छिड़काव किया जाता है। यह सल्फर डाइऑक्साइड सल्फेट एयरोसोल का निर्माण करता है, जो सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करने में सहायक है।
    • एयरोसोल वायुमंडल में निलंबित सूक्ष्म कण हैं। इनके उदाहरण हैं- खनिजों की धूल, धूम्र, ज्वालामुखीय राख आदि।

सौर विकिरण प्रबंधन (SRM) की अन्य तकनीकें

  • मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग (MCB): इस तकनीक में महासागरीय क्षेत्रों में निचले वायुमंडल में एयरोसोल का छिड़काव करके बादलों द्वारा सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करने की उनकी क्षमता बढ़ाई जाती है।
  • सिरस क्लाउड थिनिंग (CCT): अधिक ऊँचाई पर स्थित बर्फीले बादलों की संरचना में बदलाव किया जाता है, ताकि पृथ्वी से ऊष्मा विकिरण के उत्सर्जन में वृद्धि की जा सके।
  • भू-सतह एल्बिडो में वृद्धि: इसके तहत पृथ्वी की सतह से सूर्य के प्रकाश के परावर्तन को बढ़ाया जाता है;, जैसे-घर की छतों की सफेदी करना।
  • अंतरिक्ष आधारित तकनीकें: इसमें अंतरिक्ष में विशाल “दर्पण” लगाकर सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करने के उपाय शामिल हैं।
  • Tags :
  • स्ट्रेटोस्फेरिक एयरोसोल इंजेक्शन (SAI)
  • जियो-इंजीनियरिंग
  • सौर विकिरण का प्रबंधन (SRM)
  • एयरोसोल
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