प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) इस सिद्धांत पर आधारित है कि यदि प्रत्येक गर्भवती महिला का इस अभियान के दौरान कम-से-कम एक बार किसी चिकित्सक द्वारा चिकित्सा परीक्षण किया जाता है, तो इससे देश में मातृ मृत्यु दर और नवजात मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।
- नवजात मृत्यु से आशय जन्म के पहले 28 दिनों में ही शिशु की मृत्यु हो जाने से है।
प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) के बारे में
- शुरुआत: इसे 2016 में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने शुरू किया था।
- उद्देश्य: सभी गर्भवती महिलाओं को नि:शुल्क, सार्वभौमिक, सुनिश्चित, व्यापक और बेहतर प्रसवपूर्व देखभाल (ANC) सुविधाएं प्रदान करना।
- गारंटी: योजना के तहत गर्भधारण के दूसरे और तीसरे माह (ट्राइमेस्टर) में महिलाओं को न्यूनतम प्रसवपूर्व-देखभाल पैकेज की गारंटी दी जाती है।
PMSMA के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- सेवा प्रदाता: प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ (OBGY), रेडियोलॉजिस्ट, और फिजिशियन (प्राइवेट डॉक्टरों सहित) द्वारा।
- निःशुल्क सेवाएं: प्रत्येक माह की 9 तारीख को लोक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसवपूर्व देखभाल सेवाएं, टेस्ट (एक अल्ट्रासाउंड सहित), और दवाइयां (आयरन एवं फोलिक एसिड, कैल्शियम आदि) उपलब्ध कराई जाती हैं।
- विशेष ध्यान: गैर-पंजीकृत या प्रसवपूर्व देखभाल सेवाओं से वंचित महिलाओं, देखभाल सेवाएं बीच में ही छोड़ने वाली महिलाओं और अधिक स्वास्थ्य जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
- अधिक स्वास्थ्य जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान का तरीका:
- ग्रीन स्टीकर: कोई खतरा नहीं; तथा
- रेड स्टीकर: अधिक खतरा।
- अन्य सरकारी योजनाओं के साथ सामंजस्य: यह अभियान जननी सुरक्षा योजना (JSY), प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY), पोषण अभियान जैसी योजनाओं के साथ समन्वय में संचालित किया जा रहा है।
PMSMA की प्रमुख उपलब्धियां
- भारत में मातृ मृत्यु दर (MMR) में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किए गए हैं। यह 2014-16 की प्रति लाख जीवित जन्म पर 130 से घटकर 2021-23 में 80 हो गई है।
- PMSMA के अंतर्गत 6 करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं का चिकित्सकीय परीक्षण किया जा चुका है।
विस्तारित प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (E-PMSMA)
|