विदेश मंत्रालय के आर्थिक संबंध सचिव ने IMEC की महत्ता को रेखांकित करते हुए इसके कार्यान्वयन हेतु IMEC कोष के निर्माण तथा समन्वय एवं समय-सीमा की देख-रेख के लिए IMEC सचिवालय की स्थापना का प्रस्ताव दिया।
- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) के बारे में:
- यह एक मल्टीमॉडल आर्थिक गलियारा है। इसे G-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन (2023, नई दिल्ली) में भारत, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इटली, सऊदी अरब, UAE और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) के तहत शुरू किया गया था।
- IMEC में शामिल हैं: भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ने वाला पूर्वी गलियारा और अरब की खाड़ी को यूरोप से जोड़ने वाला उत्तरी गलियारा।
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC): भारत के लिए एक रणनीतिक अनिवार्यता

- ऐतिहासिक समुद्री चोक पॉइंट्स: उदाहरण के लिए-जिब्राल्टर एवं मलक्का जलडमरूमध्य, पनामा नहर और लाल सागर रणनीतिक विकल्प के रूप में IMEC की आवश्यकता को उजागर करते हैं।
- वैश्विक संकट, जैसे- रूस-यूक्रेन युद्ध ने आपूर्ति श्रृंखलाओं की कमजोरियों को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया है।
- बेहतर मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी: IMEC यूरोप, अरब की खाड़ी और आसियान को जोड़ेगा तथा भारत-म्यांमार-थाईलैंड (IMT) त्रिपक्षीय राजमार्ग को एकीकृत करेगा। इससे व्यापार एवं क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा मिलेगा।
- भारत ने 2047 तक 30 ट्रिलियन GDP करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए मजबूत अंतर्राष्ट्रीय संपर्क आवश्यक है।
- व्यापार दक्षता: इसका उद्देश्य भारत से यूरोप तक माल परिवहन के समय और लागत को क्रमशः 40% एवं 30% तक कम करना है।
- IMEC केवल एक व्यापार मार्ग नहीं है: इसे ऊर्जा ग्रिड, परिवहन प्रणालियों और डिजिटल समाधानों को एकीकृत करने वाले एक बहुआयामी आर्थिक गलियारे के रूप में देखा जा रहा है।
समुद्री चोक पॉइंट्स क्या है?
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