वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) (संशोधन) नियम, 2025 प्रकाशित किए।
मुख्य नियमों पर एक नजर
- सरकार ने सेमीकंडक्टर या इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के विनिर्माण के लिए समर्पित SEZ के लिए न्यूनतम भूमि आवश्यकता को कम कर दिया गया है। इसके तहत अब SEZ के लिए आवश्यक सन्निहित भू-खंड 10 हेक्टेयर कर दिया गया है, जो पहले 50 हेक्टेयर था।
- निःशुल्क आधार पर प्राप्त और आपूर्ति की गई वस्तुओं के मूल्य को शुद्ध विदेशी मुद्रा (NFE) गणना में शामिल किया जाएगा। साथ ही, सेमीकंडक्टर के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स विनिर्माण क्षेत्र में SEZ इकाइयों को लागू शुल्कों के भुगतान के बाद घरेलू टैरिफ क्षेत्र में भी घरेलू आपूर्ति करने की अनुमति दी गई है।
- NFE से तात्पर्य किसी कंपनी की विदेशी मुद्रा आय (मुख्य रूप से निर्यात) और उसके विदेशी मुद्रा व्यय (मुख्य रूप से आयात) के बीच के अंतर से है।
SEZ क्या है?
- परिभाषा: SEZ भौगोलिक रूप से चिन्हित एक शुल्क-मुक्त एन्क्लेव होता है। इसे व्यापार संबंधी गतिविधियों के संचालन और शुल्क एवं प्रशुल्क के उद्देश्यों से विदेशी क्षेत्र माना जाता है।
- SEZ नीति की घोषणा 2000 में की गई थी, और SEZ अधिनियम, 2005 में पारित किया गया था।
- SEZ योजना के उद्देश्य: अतिरिक्त आर्थिक गतिविधि का सृजन, वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देना, रोजगार सृजन, आदि।
- SEZs के लिए बाबा कल्याणी समिति की सिफारिशें: समिति ने भारत में SEZs का नाम बदलकर एम्प्लॉयमेंट एंड इकोनॉमिक एन्क्लेव (3Es) करने की सिफारिश की थी। साथ ही, निर्यात में वृद्धि करने और सेवाओं व विनिर्माण के लिए अलग नियम बनाने की भी अनुशंसा की थी।
शुरू की गई पहलें
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