जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में NH-144A के पास सैकड़ों हेक्टेयर वन भूमि वनाग्नि की चपेट में आ गई। घटना के बाद वन अधिकारियों तथा आपातकालीन सेवाओं द्वारा तत्काल कार्रवाई की गई।
वनाग्नि के बारे में

- जंगल या उसके किसी भाग में अनियंत्रित तरीके से आग लग जाती है, तो उसे वनाग्नि कहा जाता है। वन क्षेत्रों में यह आग वनस्पति के माध्यम से तेजी से फैलती है। इस वजह से पारिस्थितिक, आर्थिक और सामाजिक नुकसान होता है।
- वनाग्नि के कारण:
- प्राकृतिक कारण: बिजली गिरने तथा लंबे समय तक सूखा पड़ने की वजह से वनस्पति सूख जाती है, जिससे आग लगने की संभावना बढ़ जाती है आदि।
- मानवजनित कारण:
- झूम कृषि: झूम कृषि जैसी पारंपरिक “काटो और जलाओ” कृषि प्रथाएं।
- लापरवाही: जलती हुई सिगरेट फेंकना, कैंपिंग के दौरान बिना बुझी आग छोड़ देना आदि।
- जलवायु परिवर्तन: मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण लंबे समय तक सूखा पड़ना, हीटवेव्स की आवृत्ति, तीव्रता और अवधि में वृद्धि होना, आदि।
वनाग्नि की रोकथाम और शमन के लिए मौजूदा उपाय
- वनाग्नि रोकथाम और प्रबंधन योजना (FPMFS): यह केंद्र सरकार द्वारा वित्त-पोषित एक योजना है। यह राज्यों को वनाग्नि की रोकथाम, तैयारी और प्रबंधन में सहायता प्रदान करती है।
- वनाग्नि पर राष्ट्रीय कार्य योजना: इसका उद्देश्य समुदाय की भागीदारी और प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से वनाग्नि की घटनाओं को कम करना है।
- वन सर्वेक्षण इंडिया (FSI) का फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम (FIRE 2.0): इसके तहत आरंभिक चेतावनी जारी करने के लिए MODIS (मॉडरेट रेज़ोल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडियोमीटर) और SNPP-VIIRS (विज़िबल इन्फ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सूट) उपग्रह डेटा का उपयोग किया जाता है।