प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित 2023 के एक अध्ययन से पता चला है कि पिछले 20 वर्षों में कैलिफोर्निया में वनाग्नि की 10 सबसे बड़ी घटनाएं घटित हुई हैं।
- पिछले कुछ वर्षों में विविध कारणों जैसे-जलवायु परिवर्तन आदि के चलते वनाग्नि की घटनाओं में तेजी देखी गई है।
वनाग्नि के लिए जिम्मेदार कारक:
- मानवजनित गतिविधियां: यूएस फॉरेस्ट सर्विस के अनुसार, संपूर्ण संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 85% वनाग्नि मनुष्यों द्वारा जानबूझकर या गलती से लगाई जाती है।
- शुष्क सर्दी: अक्टूबर के बाद से, दक्षिणी कैलिफोर्निया में नाममात्र बारिश हुई थी, जिसके कारण आग लगने का खतरा बढ़ गया था।
- सांता एना पवनें: ये पवनें संयुक्त राज्य अमेरिका में अक्टूबर से जनवरी माह के बीच चलती हैं। ये पवनें ग्रेट बेसिन क्षेत्र (उच्च दाब) तथा कैलिफोर्निया के तट (निम्न दाब) के मध्य दाब में भिन्नता के कारण उत्पन्न होती हैं।
- ग्रेट बेसिन क्षेत्र: संयुक्त राज्य अमेरिका में रॉकी पर्वत और सिएरा नेवादा के बीच का क्षेत्र।
- ये पवनें जब पहाड़ों से नीचे की तरफ आती हैं, तब ये संपीडित होकर गर्म हो जाती हैं। इससे नमी में गिरावट आती है। नमी में यह गिरावट वनस्पति को शुष्क कर देती है। इससे आग लगने का खतरा बढ़ जाता है।
- जलवायु परिवर्तन: पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण उष्ण जल स्रोतों और गर्मियों में तापमान में बढ़ोतरी हुई है।
- ऐसी स्थितियां संचयी रूप से लंबे और अधिक शुष्क मौसम का कारण बनती हैं। ऐसे मौसम में वनस्पतियां नमी के अभाव में सूख जाती हैं।
वनाग्नि के परिणाम:
- विषाक्त प्रदूषक: वनाग्नि के परिणामस्वरूप उत्पन्न धुआं खतरनाक वायु प्रदूषकों जैसे PM2.5, NO2, ओज़ोन, एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन, सीसा आदि का मिश्रण होता है। ये प्रदूषक मानव जीवन और स्वास्थ्य के समक्ष गंभीर खतरा उत्पन्न करते हैं।
- जलवायु परिवर्तन को तीव्र करना: वनाग्नि से बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसें वातावरण में उत्सर्जित होती हैं, जो जलवायु परिवर्तन को और अधिक तीव्र कर सकती हैं।
- आर्थिक: वनाग्नि से संपत्ति, महत्वपूर्ण अवसंरचना और सांस्कृतिक विरासत नष्ट होती है।
- पर्यावरण: वनाग्नि से लकड़ी और जैव विविधता का नुकसान होता है। इसका देशज समुदायों एवं पर्यटन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
- वनाग्नि मृदा बायोम और कार्बनिक पदार्थों को भी प्रभावित करती है तथा मृदा अपरदन को बढ़ाती है।