केंद्रीय क्षेत्रक योजनाएं (CSSs) पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्त-पोषित और कार्यान्वित की जाती हैं। इनमें संविधान की संघ सूची में सूचीबद्ध विषयों से संबंधित योजनाएं शामिल होती हैं।
केंद्र सरकार के मुख्य दिशा-निर्देशों पर एक नजर:
- केंद्रीय नोडल एजेंसी (CNA): प्रत्येक ‘केंद्रीय क्षेत्रक योजना’ के लिए संबंधित मंत्रालय या विभाग एक एजेंसी को केंद्रीय नोडल एजेंसी (CNA) के रूप में नियुक्त करेगा। यह एजेंसी योजना को कार्यान्वित करेगी। इन एजेंसियों में स्वायत्त संस्थाएं, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम या राज्य एजेंसियां शामिल होंगी।
- बजट निर्धारण और बचत: संबंधित मंत्रालयों को अपनी योजनाओं के बजट का यथार्थवादी तरीके से आकलन करना होगा। विशेष रूप से वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही तक योजना के तहत किसी भी संभावित बचत या अनुप्रयुक्त राशि की जानकारी देनी होगी।
- वित्त वर्ष के अंत तक किसी योजना के तहत अप्रयुक्त राशि समाप्त (लैप्स) मानी जाएगी और उसे अगले वर्ष के आवंटन में नहीं जोड़ा जा सकेगा।
- ‘जस्ट-इन-टाइम’ फंड रिलीज़: फंड केवल आवश्यकता पड़ने पर ही जारी किया जाएगा। साथ ही, एक बार में अधिकतम 25% फंड ही जारी किया जाएगा।
- अगली किश्त तभी जारी की जाएगी जब पहले दिए गए फंड का 75% उपयोग हो चुका हो और निर्धारित शर्तें पूरी की गई हों।
दिशा-निर्देशों का महत्त्व:
- फंड का प्रभावी उपयोग: एक बार में केवल 25% फंड जारी करने और इस जारी फंड के ‘75% उपयोग की शर्त’ यह सुनिश्चित करेगी कि फंड का वास्तविक उपयोग हो, न कि केवल उसे जमा रखा जाए।
- जवाबदेही बढ़ाना: नया फंड जारी करने से पहले, पूर्व में जारी फंड के समुचित उपयोग की शर्त वास्तव में कार्यान्वयन एजेंसियों में वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करेगी।
केंद्रीय योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए किए गए अन्य उपाय
|