उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO)
नाटो के सदस्य देशों ने 2035 तक रक्षा व्यय को सदस्य देशों के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 2% से बढ़ाकर 5% करने पर सहमति जताई।
- सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा (Collective Defence) के सिद्धांत के लिए अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया।
नाटो (NATO) के बारे में
- स्थापना: नाटो का गठन 1949 में उत्तरी अटलांटिक संधि के माध्यम से हुई थी। इस संधि को वाशिंगटन संधि भी कहा जाता है।
- उद्देश्य: इसके गठन का उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में तत्कालीन सोवियत संघ के विस्तार को रोकना था।
- मुख्यालय: ब्रुसेल्स (बेल्जियम)।
- स्वरूप:
- यह यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 32 देशों का एक राजनीतिक और सैन्य गठबंधन है। स्वीडन इसका नवीनतम सदस्य है।
- यह “सामूहिक रक्षा के सिद्धांत” पर कार्य करता है जिसका उल्लेख नाटो संधि के अनुच्छेद 5 के तहत है। इस सिद्धांत के अनुसार किसी एक सदस्य देश पर हमला, सभी सदस्यों पर हमला माना जाता है।
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- उत्तरी अटलांटिक संधि
पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौता
भारत के नेतृत्व में विकासशील देशों ने पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के अनुच्छेद 9.1 के तहत विकसित देशों द्वारा जलवायु वित्तपोषण प्रदान करने की बाध्यताओं पर चर्चा फिर से शुरू करने के लिए मजबूर किया।
- समझौता के अनुच्छेद 9.1 के अनुसार, “विकसित देश सतत रूप से विकासशील देशों को जलवायु शमन (Mitigation) और अनुकूलन (Adaptation), दोनों के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराएंगे।”
- अजरबैजान के बाकू में “जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के पक्षकारों के 29वें सम्मेलन (UNFCCC- COP29) के दौरान, विकसित देशों ने 2035 से प्रति वर्ष कम से कम 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने पर सहमति व्यक्त की थी।
- हालांकि, विकासशील देशों ने 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के वित्तपोषण की मांग की थी।
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- अनुच्छेद 9.1
- जलवायु वित्तपोषण
- जलवायु शमन
अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (International Potato Centre: CIP)
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश के आगरा में अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना को मंजूरी दे दी है।
अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के बारे में
- स्थापना: इसकी स्थापना 1971 में हुई थी। यह केंद्र आलू (Potato), शकरकंद (Sweet Potato) और एंडीज क्षेत्र की जड़ व कंद वाली फसलों (Andean Roots and Tubers) पर शोध करता है।
- इसके अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के 20 से अधिक देशों में अनुसंधान केंद्र मौजूद हैं।
- उद्देश्य: जड़ और कंद वाली फसलों की उत्पादन पद्धतियों में सुधार करना, ताकि जलवायु परिवर्तन, पोषण और गरीबी से जुड़ी चुनौतियों का समाधान किया जा सके।
- मुख्यालय: इसका मुख्यालय लीमा (पेरू) में है।
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- आलू
ई-पासपोर्ट
भारत के विदेश मंत्रालय ने ई-पासपोर्ट और पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम 2.0 को शुरू किया है।
ई-पासपोर्ट के बारे में
- ई-पासपोर्ट वास्तव में पेपर और इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट का मिश्रित रूप है। इसमें एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) चिप और एक एंटीना पासपोर्ट के कवर में इनले के रूप में लगाया गया होता है।
- इसमें पासपोर्ट धारक की व्यक्तिगत जानकारी और बायोमेट्रिक डेटा दर्ज होता है।
- इसकी सुरक्षा प्रणाली का आधार पब्लिक-की इन्फ्रास्ट्रक्चर (PKI) तकनीक है।
- ई-पासपोर्ट जाली पासपोर्ट जैसी जालसाजी और धोखाधड़ी गतिविधियों से पासपोर्ट की सुरक्षा करता है और सीमा पर भारत के पासपोर्ट की प्रामाणिकता सुनिश्चित करता है।
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- ई-पासपोर्ट
- रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID)
- पब्लिक-की इन्फ्रास्ट्रक्चर (PKI)
बिजनेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग (BRSR)
जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरों से निपटने में, भारत में ‘पर्यावरण पर प्रभाव से जुड़े डिस्क्लोजर फ्रेमवर्क’ महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- "बिजनेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग (BRSR)" एक ऐसा ही डिस्क्लोजर फ्रेमवर्क है।
BRSR के बारे में
- यह स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध भारत की 1,000 बड़ी कंपनियों के लिए अनिवार्य रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क है।
- इसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा 2012 में बिजनेस रिस्पॉन्सिबिलिटी रिपोर्टिंग (BRR) के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
- इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- सूचीबद्ध कंपनियों को संधारणीय व्यावसायिक कार्य-प्रणालियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित, करना तथा
- सूचीबद्ध कंपनियों की गतिविधियों के पर्यावरणीय, सामाजिक और गवर्नेंस (ESG) से जुड़े प्रदर्शन से संबंधित जानकारी को सार्वजनिक करना
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- बिजनेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग (BRSR)
- बिजनेस रिस्पॉन्सिबिलिटी रिपोर्टिंग
- पर्यावरणीय, सामाजिक और गवर्नेंस (ESG)
एन्हांस्ड रॉक वेदरिंग (ERW)
जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए अब खेतों में क्रश की हुई चट्टानों को फैलाया जा रहा है।
- इस तकनीक को एन्हांस्ड रॉक वेदरिंग (ERW) कहा जाता है।
ERW के बारे में
- यह एक जलवायु समाधान है जिसे कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) को वातावरण से हटाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह उस प्राकृतिक प्रक्रिया को तेज करता है जिसमें चट्टानें कार्बन को अवशोषित करती हैं।
- एन्हांस्ड वेदरिंग की विधियां:
- चट्टानों को क्रश करना: जब चट्टानों को महीन कण में बदला जाता है, तो उनका सतह क्षेत्र बढ़ जाता है, जिससे वे हवा या पानी में मौजूद CO₂ के साथ तेजी से प्रतिक्रिया करती हैं।
- आम तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली चट्टानें:
- ओलिविन: यह तेज़ी से अपक्षयित होती है। इसकी धूल को समुद्र तटों या महासागरों में फैलाने से कार्बन जमा हो सकता है और समुद्र की अम्लता कम हो सकती है।
- बेसाल्ट: जब इसे खेतों में डाला जाता है, तो यह न केवल CO₂ को कैप्चर करता है, बल्कि मिट्टी को पोषण भी प्रदान करता है और फसल की पैदावार बढ़ाता है।
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- एन्हांस्ड रॉक वेदरिंग (ERW)
- ओलिविन
- बेसाल्ट
वजन कम करने वाली दवाएं
डेनमार्क की दवा कंपनी नोवो नोर्डिस्क ने भारत में अपनी वजन कम करने वाली दवा वेगोवी लॉन्च की।
- इस दवा का सक्रिय घटक सेमाग्लूटाइड है और इसे वेगोवी ब्रांड नाम से बेचा जा रहा है। यह इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध होगी और इसे सप्ताह में एक बार लेना होगा।
- सेमाग्लूटाइड भूख को कम करने का काम करता है। यह शरीर में मौजूद GLP-1 (ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1) नामक हार्मोन की कॉपी करता है।
- GLP-1 आंतों में पाया जाने वाला एक हार्मोन है, जो खाना खाने के बाद शरीर में रिलीज़ होता है और व्यक्ति को अधिक देर तक पेट भरा हुआ महसूस कराता है।
- सेमाग्लूटाइड भूख को कम करने का काम करता है। यह शरीर में मौजूद GLP-1 (ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1) नामक हार्मोन की कॉपी करता है।
- वजन घटाने की अन्य दवाओं में माउंजारो भी शामिल है, जो टिर्जेपटाइड से बनी है। यह GLP-1 और GIP दोनों हार्मोन की तरह काम करता है।
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- नोवो नोर्डिस्क
- माउंजारो
- वजन
- सेमाग्लूटाइड
ब्रेंट क्रूड
हाल ही में, मध्य पूर्व में तनाव कम होने और वैश्विक तेल आपूर्ति में व्यवधान की चिंताओं में कमी के कारण ब्रेंट क्रूड की कीमतों में गिरावट आयी है।
ब्रेंट क्रूड के बारे में
- ब्रेंट क्रूड 1960 के दशक से उत्तरी सागर से निकलने वाला एक लाइट स्वीट ऑयल है। यह दुनिया में तेल की कीमत तय करने के लिए सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाला बेंचमार्क है।
- इसे यूरोप, अफ्रीका और मध्य पूर्व के लाइट ऑयल मार्केट के लिए बेंचमार्क के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
- अन्य तेल बेंचमार्क: वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट अमेरिकी लाइट ऑयल मार्केट के लिए बेंचमार्क है।
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- ब्रेंट क्रूड
- उत्तरी सागर
AI-पावर्ड एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ATMS)
द्वारका एक्सप्रेसवे भारत का पहला एआई-संचालित एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ATMS) वाला एक्सप्रेसवे बना।
- इसे IHMCL (इंडियन हाईवे मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड) द्वारा लागू किया जा रहा है।
ATMS के बारे में:
- एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ATMS) तकनीकों और प्रणालियों का एक समूह है। इनका उपयोग सड़कों और राजमार्गों पर यातायात को अधिक कुशल, सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने के लिए किया जाता है।
- ATMS के मुख्य घटक है:
- ट्रैफिक मॉनिटरिंग कैमरे,
- वीडियो इंसिडेंट डिटेक्शन एंड एनफोर्समेंट सिस्टम (VIDES);
- व्हीकल एक्चुएटेड स्पीड डिस्प्ले सिस्टम (VASD);
- ऑप्टिकल फाइबर बैकबोन के साथ कम्युनिकेशन नेटवर्क,
- ATMS कमांड एंड कंट्रोल सेंटर आदि।
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- ATMS
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- मैनेजमेंट सिस्टम
- ट्रैफिक मॉनिटरिंग