CEC की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत ने 2019-20 से 2023-24 के बीच कुल प्रतिपूरक वनरोपण लक्ष्य का 85% हासिल कर लिया है।
- CEC का गठन सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण और संरक्षण मामलों की देखरेख के लिए किया है।
प्रतिपूरक वनरोपण के बारे में
- यदि वन भूमि का गैर-वन्य उद्देश्यों के लिए 'उपयोग' किया जाता है, तो इसके ही समान भू-क्षेत्र पर वनरोपण का प्रयास करना अनिवार्य है। गैर-वन्य उद्देश्यों में औद्योगिक या अवसंरचना का विकास करना आदि शामिल है। यह वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत किया जाता है।
प्रतिपूरक वनरोपण निधि अधिनियम, 2016 के बारे में
- यह अधिनियम सुप्रीम कोर्ट के टीएन गोदावरमन बनाम भारत संघ (1995) वाद में दिए गए निर्णय से प्रेरित होकर बनाया गया है।
- इसके तहत राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रतिपूरक वनरोपण प्रबंधन एवं नियोजन प्राधिकरण कोष (CAMPA) का गठन किया गया है।
- इस अधिनियम में केंद्र सरकार और सभी राज्यों के लोक लेखाओं के तहत प्रतिपूरक वनरोपण निधियों की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
CEC द्वारा उजागर किए गए प्रतिपूरक वनरोपण निधि जारी करने में निहित मुद्दे
- वार्षिक परिचालन योजना (APO) प्रस्तुत करने में देरी;
- राष्ट्रीय प्राधिकरण की मंजूरी के बावजूद राज्य स्तर पर कई स्वीकृतियां;
- CAMPA कार्यालयों में कर्मचारियों की कमी;
- निगरानी का अभाव;
- निधियों का दुरुपयोग आदि।
CEC की सिफारिशें
- संस्थागत व्यवस्था को सशक्त करना: राज्य CAMPA के शासी निकाय, संचालन समिति और कार्यकारी समिति की नियमित बैठकें होनी चाहिए।
- निगरानी और पारदर्शिता बढ़ाना: प्रतिपूरक वनरोपण साइट्स की जियो-टैगिंग और ई-ग्रीन वॉच एवं परिवेश (PARIVESH) 2.0 जैसे प्लेटफॉर्म्स पर ऑनलाइन जानकारी देना अनिवार्य किया जाना चाहिए।
- अन्य सिफारिशें:
- निधियों के प्रवाह को सरल बनाना चाहिए;
- समय पर APO जमा करना सुनिश्चित करना चाहिए, आदि।