हाल ही में, असम की कुलसी नदी में एक स्वस्थ नर रिवर डॉल्फिन को टैग किया गया। बाद में उसे नदी के जल में छोड़ दिया गया। कुलसी, ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी है।
- प्रोजेक्ट डॉल्फिन के तहत नदी डॉल्फिन की टैगिंग की गई है।
- टैगिंग के तहत जानवर पर एक डिवाइस, मार्कर या टैग लगाया जाता है, ताकि उसकी पहचान की जा सके या उसे ट्रैक किया जा सके।
टैगिंग पहल के बारे में
- उद्देश्य: टैगिंग से नदी डॉल्फिन के प्रवास पैटर्न, रेंज, प्राप्ति क्षेत्र और पर्यावास के उपयोग को समझने में मदद मिलेगी। विशेष रूप से इससे मानव गतिविधियों की वजह से नदी के अपवाह में किसी भी तरह के बदलाव का नदी डॉल्फिन पर प्रभाव को समझा जा सकता है।
- टैगिंग का कार्य केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा संपन्न किया गया है। इस कार्य को असम वन विभाग के सहयोग से भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने पूरा किया है।
- टैगिंग कार्य को राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) से फंड प्राप्त हुआ था।
- राष्ट्रीय CAMPA प्राधिकरण की स्थापना प्रतिपूरक वनीकरण निधि (CAF) अधिनियम, 2016 के तहत गई है।
- यह प्राधिकरण राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण निधि का प्रबंधन करता है। यह निधि भारत के लोक लेखा के तहत स्थापित की गई है।
प्रोजेक्ट डॉल्फिन के बारे में
- यह केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित एक परियोजना है। यह प्रोजेक्ट टाइगर की तर्ज पर 2020 में शुरू की गई थी।
- इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य गंगा नदी डॉल्फिन के साथ-साथ नदी के पारिस्थितिकी-तंत्र का भी संरक्षण करना है।
गंगा नदी डॉल्फिन (प्लैटनिस्टा गैंगेटिका) के बारे में
- इसे “भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव (National Aquatic Animal)” घोषित किया गया है। यह भारतीय उपमहाद्वीप की स्थानिक (एंडेमिक) प्रजाति है।
- पर्यावास क्षेत्र: यह केवल ताजे जल में पाई जाती है। यह नेपाल, भारत और बांग्लादेश की गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और कर्णफुली-सांगू नदी तंत्र में पाई जाती है।
- वर्तमान में, विश्व की 90% गंगा नदी डॉल्फिन भारत में मिलती है।
- IUCN रेड लिस्ट स्थिति: एंडेंजर्ड।
गंगा नदी डॉल्फिन की मुख्य विशेषताएं
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