आपूर्ति सुरक्षा व्यवस्था (Security of Supplies Arrangement: SOSA) | Current Affairs | Vision IAS
मेनू
होम

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर समय-समय पर तैयार किए गए लेख और अपडेट।

त्वरित लिंक

High-quality MCQs and Mains Answer Writing to sharpen skills and reinforce learning every day.

महत्वपूर्ण यूपीएससी विषयों पर डीप डाइव, मास्टर क्लासेस आदि जैसी पहलों के तहत व्याख्यात्मक और विषयगत अवधारणा-निर्माण वीडियो देखें।

करंट अफेयर्स कार्यक्रम

यूपीएससी की तैयारी के लिए हमारे सभी प्रमुख, आधार और उन्नत पाठ्यक्रमों का एक व्यापक अवलोकन।

ESC

आपूर्ति सुरक्षा व्यवस्था (Security of Supplies Arrangement: SOSA)

01 Jan 2025
1 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, भारत के रक्षा मंत्री की संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के दौरान कुछ महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इन समझौतों में निम्नलिखित शामिल हैं-

  • सिक्योरिटी ऑफ सप्लाई अरेंजमेंट यानी आपूर्ति सुरक्षा व्यवस्था (SOSA) पर समझौता; तथा 
  • संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति (Assignment of Liaison Officers) के संबंध में समझौता ज्ञापन (MoU)

अन्य संबंधित तथ्य

  • सिक्योरिटी ऑफ सप्लाई अरेंजमेंट (SOSA) के बारे में:
    • राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा: SOSA समझौता अमेरिका और भारत को शांति काल, आपातकाल या सशस्त्र संघर्ष जैसी किसी भी स्थिति में एक-दूसरे से रक्षा सामग्री और सेवाएं प्राप्त करने की अनुमति देता है। इसमें प्रावधान है कि अगर किसी देश को अचानक किसी रक्षा उपकरण की जरूरत पड़ती है तो दूसरा देश उसे जल्दी से उपलब्ध कराएगा। इससे युद्ध या आपातकालीन स्थिति में किसी भी तरह की कमी नहीं होगी।
    • राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करना: इस व्यवस्था से दोनों देश कुछ प्रकार की रक्षा वस्तुओं की प्राथमिकता के आधार पर आपूर्ति के लिए एक-दूसरे से अनुरोध कर सकेंगे।
    • भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका का 18वां SOSA भागीदार है। 
      • यह कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता नहीं है। 
    • ज्ञातव्य है कि अमेरिका और भारत एक बाध्यकारी पारस्परिक रक्षा खरीद (RDP) समझौते पर वार्ता कर रहे हैं।
  • संपर्क अधिकारियों (Liaison Officers) की नियुक्ति पर समझौता ज्ञापन: यह समझौता सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ाएगा। साथ ही, इसके तहत अमेरिका के प्रमुख सामरिक कमानों में भारतीय सशस्त्र बलों के अधिकारियों की तैनाती भी की जा सकेगी।
    • भारत फ्लोरिडा में स्थित अमेरिकी स्पेशल ऑपरेशंस कमांड मुख्यालय में पहला संपर्क अधिकारी तैनात करेगा।

रक्षा क्षेत्रक में भारत-अमेरिका सहयोग की उपलब्धियां

  • 2015 में अमेरिका और भारत ने रक्षा संबंधों को बेहतर बनाने के लिए एक रूपरेखा तैयार की थी। इसके तहत रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धताओं को औपचारिक रूप दिया गया था।  
  • 2016 में अमेरिका ने भारत को एक प्रमुख रक्षा साझेदार के रूप में नामित किया था। इससे भारत को 2018 में स्ट्रैटेजिक ट्रेड ऑथराइजेशन टियर-1 का दर्जा प्राप्त हुआ था। इसके परिणामस्वरूप, भारत को अलग-अलग सैन्य और दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों तक लाइसेंस-मुक्त पहुंच प्राप्त हुई थी।
  • भारत-अमेरिका के बीच 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता (2018): "2+2 वार्ता" में दोनों देशों के विदेश एवं रक्षा मंत्री भाग लेते हैं।   
    • उद्देश्य: तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश में एक मजबूत और अधिक एकीकृत रणनीतिक संबंध विकसित करना, ताकि चिंता के साझा मुद्दों पर चर्चा की जा सके।
  • रक्षा औद्योगिक सहयोग के लिए रोडमैप (2023): सहयोग के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस (ISR), अंडरसी डोमेन अवेयरनेस, एयर कॉम्बैट और सपोर्ट आदि शामिल हैं। 
  • इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET, 2023) पर अमेरिका-भारत पहल: यह रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी और रक्षा औद्योगिक सहयोग का विस्तार करने के लिए शुरू की गई है।
    • इंडिया-यू.एस. डिफेंस एक्सेलरेशन इकोसिस्टम (INDUS-X, 2023): iCET के तहत रक्षा क्षेत्रक में नवाचार हेतु समन्वित प्रयासों को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। 
  • भारत और अमेरिका ने आपस में सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए चार आधारभूत समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं: (इन्फोग्राफिक देखें)

भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग का महत्त्व

  • भारत की रक्षा सामग्री के आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाना: स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशकों के दौरान भारत ने हथियारों की खरीद में 60 बिलियन डॉलर से अधिक की धनराशि खर्च की थी। इसमें से 65% रक्षा सामग्री की आपूर्ति रूस ने की है। 
    • उदाहरण के लिए- SOSA भारत को अपनी रक्षा सामग्री के आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाने में सक्षम बनाएगा। इससे रूसी उपकरणों पर भारत की निर्भरता कम होगी।
  • भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को मजबूती: चार 'आधारभूत समझौते' भारत को अमेरिका के करीब लाएंगे, भारत को एडवांस अमेरिकी खुफिया जानकारी तक पहुंच प्रदान होगी, आदि।
  • सैन्य साझेदारी और आपसी सहयोग  को मजबूत करना: उदाहरण के लिए, मालाबार अभ्यास ने सैन्य उपायों के आदान-प्रदान, प्रशिक्षण कौशल को बेहतर करने, आदि के लिए एक साझा मंच प्रदान किया है।
    • इस वर्ष (2024) का मालाबार अभ्यास विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) में शुरू हुआ था। इसमें भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका ने भाग लिया था।
  • हिंद-प्रशांत में चीन को प्रतिसंतुलित करना: भारत अब संयुक्त समुद्री बल (CMF) का सदस्य बन गया है। इससे नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करके क्षेत्रीय सुरक्षा को दिशा देने में भारत की भूमिका में बढ़ोतरी होगी।
    • CMF लगभग 3.2 मिलियन वर्ग मील के अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक बहुराष्ट्रीय नौसैनिक साझेदारी है।
  • एडवांस अमेरिकी रक्षा प्रौद्योगिकी तक पहुंच: उदाहरण के लिए, भारत, अमेरिका का पहला गैर-संधि भागीदार बन गया, जिसे MTCR श्रेणी-1 मानव रहित हवाई प्रणाली-सी गार्जियन यू.ए.एस. की पेशकश की गई। 
  • औद्योगिक संवृद्धि: INDUS-X के तहत रक्षा व्यवस्था  में बढ़ते सहयोग से निवेश के अवसरों, उच्च क्षमता वाले स्टार्ट-अप्स, उभरते रक्षा बाजारों में एक्सपोज़र आदि में विविधता लाने में मदद मिल सकती है।

भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग में चुनौतियां

  •  रणनीतिक मतभेद: रूस के साथ भारत के संबंध (हथियार और तेल खरीद) तथा पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंध अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी में मतभेद पैदा करते हैं।
    • उदाहरण के लिए, अमेरिका ने भारत को रूस से सैन्य उपकरण खरीदने पर काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी। 
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का अभाव: अमेरिकी कंपनियां प्रौद्योगिकी साझा करने की बजाय हथियारों की बिक्री को प्राथमिकता देती हैं।
  • विनियामक बाधाएं: भारत में रक्षा खरीद की धीमी प्रक्रिया और ऑफसेट क्रेडिट मुद्दे अमेरिकी फर्मों को रोकते हैं।
  • भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी से बढ़ता तनाव: भारत-अमेरिका के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी से क्षेत्रीय सुरक्षा का मुद्दा उठ खड़ा हुआ है, क्योंकि चीन इसे एक खतरे के रूप में देखता है।
  • बौद्धिक संपदा संबंधी चिंताएं: अमेरिका ने भारत को बौद्धिक संपदा संरक्षण और प्रवर्तन से जुड़ी समस्याओं के लिए देशों की 'प्राथमिकता निगरानी सूची' में शामिल किया है। साथ ही, कहा है कि आने वाले वर्ष में इस मामले पर विशेष रूप से गहन द्विपक्षीय वार्ता होगी।

आगे की राह

  • आपसी रक्षा सहयोग पर ध्यान देना: अमेरिकी और भारतीय सेनाओं के बीच पारस्परिक सहयोग को बेहतर बनाने के लिए संयुक्त सैन्य अभ्यास एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। 
  • खुफिया जानकारी साझा करने का विस्तार करना: विशेष रूप से आतंकवाद तथा क्षेत्रीय सुरक्षा के समक्ष खतरों जैसे चिंता के साझा क्षेत्रों में खुफिया सहयोग को और गहरा करने की आवश्यकता है।
  • पारस्परिक रक्षा खरीद समझौते को जल्द-से-जल्द संपन्न करने का प्रयास करना: यह अमेरिकी सहयोगियों और अन्य मैत्रीपूर्ण देशों के साथ पारंपरिक रक्षा उपकरणों के युक्तिकरण, मानकीकरण, आपस में आदान-प्रदान करने और संचालन में परस्पर सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • लंबित वार्ताओं को जल्दी पूरा करना: उदाहरण के लिए, LCA MK2 लड़ाकू विमानों के निर्माण के लिए GE F414 जेट इंजन को भारत में ही बनाने के लिए इसके विनिर्माताओं से वार्ता चल रही है।
  • बहुपक्षीय समन्वय को आगे बढ़ाना: अंतर्राष्ट्रीय रणनीतिक मुद्दों के समाधान के लिए क्वाड तथा I2U2 (भारत, इजरायल, संयुक्त राज्य अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात) जैसे मंचों में समन्वय को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

निष्कर्ष

भारत-अमेरिका रक्षा समझौते रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने, प्रौद्योगिकी साझाकरण को बढ़ावा देने और साझा लक्ष्यों के लिए गहन सहयोग एवं आपसी प्रतिबद्धता के माध्यम से क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Explore Related Content

Discover more articles, videos, and terms related to this topic

Title is required. Maximum 500 characters.

Search Notes

Filter Notes

Loading your notes...
Searching your notes...
Loading more notes...
You've reached the end of your notes

No notes yet

Create your first note to get started.

No notes found

Try adjusting your search criteria or clear the search.

Saving...
Saved

Please select a subject.

Referenced Articles

linked

No references added yet

Subscribe for Premium Features