यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बाल विवाह की दर में कमी आई है | Current Affairs | Vision IAS
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रिपोर्ट में आंध्र प्रदेश और राजस्थान में बाल विवाह की घटती दर, सफल राज्य पहल, विधायी उपायों और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने तथा बाल विवाह को समाप्त करने के वैश्विक प्रयासों पर प्रकाश डाला गया है।

In Summary

रिपोर्ट में बताया गया है कि आंध्र प्रदेश में बाल विवाह दर 33% (NFHS-4) से घटकर 29.3% (NFHS-5) हो गई है। राजस्थान में यह 35.4% (NFHS-4) से घटकर 25.4% (NFHS-5) हो गई है।

  • रिपोर्ट में विभिन्न राज्यों की उपलब्धियों और उनके उपायों पर प्रकाश डाला गया है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर सामूहिक और बहु-क्षेत्रकीय प्रयासों ने लैंगिक समानता पर SDG-5 की दिशा में प्रगति की है।

राज्यों से सीख: केस स्टडीज़ और लाभ

  • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना: NFHS-5 डेटा का उपयोग करते हुए यूनिसेफ के साक्ष्य-आधारित समर्थन के परिणामस्वरूप महिला विकास और बाल कल्याण (WDCW) विभाग ने ऐसे जिलों में गहन बाल विवाह निवारण कार्यक्रम शुरू किए, जहां बाल विवाह दर बहुत अधिक थी।
  • असम: यहां लैंगिक समानता को बनाए रखने के लिए एक मॉडल अपनाया गया। इसके तहत लड़कों और पुरुषों के व्यवहार एवं दृष्टिकोण को लैंगिक समानता के अनुकूल बनाने का कार्य किया गया।
  • छत्तीसगढ़ (जशपुर): स्वयंसेवी-आधारित अभियान "जय-हो" ने अलग-अलग क्षेत्रकों में समन्वय का प्रदर्शन किया।
  • ओडिशा: "बाल विवाह मुक्त ग्राम" पहल का विस्तार किया गया। इस पहल के तहत जनवरी 2022 तक 12,407 गांवों ने स्वयं को बाल विवाह मुक्त घोषित किया।

भारत में बाल विवाह उन्मूलन के लिए शुरू की गई पहलें

  • बाल विवाह निषेध अधिनियम (PCMA), 2006: इसके तहत 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़कों के विवाह को प्रतिबंधित किया गया है।
  • बाल विवाह रोकने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना: यह एक व्यापक फ्रेमवर्क है। इसका उद्देश्य उन लड़कियों को सहायता प्रदान करना है, जिनका कम उम्र में विवाह होने का खतरा है।
  • बाल विवाह मुक्त भारत अभियान: ऐसे कानूनी परिवर्तनों का समर्थन करना, जो बिना किसी अपवाद के विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित करते हैं। इससे बच्चों के लिए कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

वैश्विक स्तर पर शुरू की गई पहलें

  • UNFPA-UNICEF वैश्विक बाल विवाह उन्मूलन कार्यक्रम (GPECM): इसकी शुरुआत मार्च 2016 में की गई थी। यह किशोरियों के अधिकारों को बढ़ावा देता है और बाल विवाह, कम उम्र में विवाह एवं जबरन विवाह को रोकने के लिए काम करता है।
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