रिपोर्ट के अनुसार 9 में से 7 ग्रहीय सीमाओं का उल्लंघन किया जा चुका है तथा विश्व के महासागर संकट में हैं।
- इस रिपोर्ट में पृथ्वी प्रणाली का एक वैज्ञानिक मूल्यांकन किया गया है। इसमें बताया गया है कि मानव की गतिविधियों ने पृथ्वी की स्थिर व्यवस्था को प्रभावित किया है।
ग्रहीय सीमाएं (Planetary Boundaries) क्या है?
- ग्रहीय सीमाएं पारिस्थितिक सीमाएं हैं, जो उन सुरक्षित सीमाओं, या "सुरक्षित संचालन स्थिति" को परिभाषित करती हैं जिसके भीतर मानव प्रजाति सुरक्षित रूप से जीवित रह सकती है।
- ये नौ प्रक्रियाएं हैं, जो वैश्विक स्थिरता, लचीलेपन और जीवन को बनाए रखने के लिए ज़रूरी हैं।
- 9 ग्रहीय सीमाओं में शामिल हैं:
- ग्रहीय सीमाएं निर्धारित करने वाले मानदंड: वैश्विक वैज्ञानिक मूल्यांकन (IPCC, IPBES), होलोसीन युग की तुलना में परिवर्तन , पारिस्थितिक लचीलापन विश्लेषण, पृथ्वी प्रणाली मॉडल्स, संभावित टिपिंग पॉइंट्स, आदि।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- 9 में से 7 ग्रहीय सीमाओं का पहले से ही उल्लंघन किया जा चुका है। केवल वायुमंडलीय एयरोसोल लोडिंग और समतापमंडलीय ओज़ोन क्षरण ही शेष बची हैं।
- महासागर अम्लीकरण: इसने पहली बार अपनी सुरक्षित संचालन स्थिति को पार कर लिया है। इस वजह से प्रवाल और मोलस्क जैसे समुद्री जीव खतरे की स्थिति में आ गए हैं।
- जलवायु परिवर्तन संकेतक: इसमें स्थिति और बिगड़ती जा रही है। वायुमंडलीय CO₂ 2025 में 423 पार्ट्स प्रति मिलियन (ppm) तक पहुंच गया, जो 450 ppm की उच्च-जोखिम सीमा के करीब है।
- जैवमंडल अखंडता: इसमें लगातार तेजी से गिरावट आ रही है, और विलुप्ति दर सुरक्षित सीमा से ऊपर बनी हुई है।
निष्कर्ष
इस संकट से निपटने के लिए वैज्ञानिक समुदाय ने ग्रहीय सीमा पहल (PBI) शुरू की है। यह वैश्विक मंच जोखिमों को ट्रैक करेगा, समाधान विकसित करेगा और संचार में सुधार करेगा। उन्नत मॉडलिंग, AI और विभिन्न डेटा स्रोतों का उपयोग कर इस पहल के तहत एक “प्लैनेटरी मिशन कंट्रोल सेंटर” बनाया जाएगा। यह केंद्र लगभग रियल टाइम में आकलन और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने में मदद करेगा।