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डाक विभाग ने भगवान राम की तंजावुर पेंटिंग को बेंगलुरु से अयोध्या पहुंचाया। 

तंजावुर चित्रकारी के बारे में

  • यह एक शास्त्रीय कला शैली है। इसका नाम तमिलनाडु के तंजावुर शहर के नाम पर रखा गया है। 
    • तंजावुर चोल साम्राज्य की राजधानी थी।
  • यह कला चोल शासकों, विजयनगर के नायकों और मराठा शासकों के संरक्षण में फली-फूली।
  • प्रमुख विशेषताएं:
    • इसे 'पलगाई पदम' भी कहा जाता है। इसका अर्थ है 'काष्ठफलक पर चित्रकारी', क्योंकि इन्हें लकड़ी के पट्टिकाओं पर तैयार किया जाता है।
    • इन चित्रों को कांच के मोतियों, अर्ध-कीमती रत्नों/ पत्थरों, जीवंत प्राकृतिक रंगों और सोने के वर्क (Gold foil) से सजाया जाता है। ये इसे एक त्रि-आयामी (3D) प्रभाव प्रदान करते हैं।
    • यह चित्रकारी देवी-देवताओं के भव्य और विस्तृत चित्रण के लिए विख्यात है।
  • इस कला शैली को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्राप्त है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने हम्पी के 'खराब रखरखाव' पर चिंता व्यक्त की।

हम्पी स्मारक समूह के बारे में

  • इसमें मुख्य रूप से विजयनगर साम्राज्य (14वीं-16वीं शताब्दी ईस्वी) की राजधानी के अवशेष शामिल हैं।
  • अवस्थिति: यह कर्नाटक के विजयनगर जिले में तुंगभद्रा नदी के बेसिन में स्थित है।
  • महत्वपूर्ण स्मारक: यहां के प्रमुख स्मारकों में कृष्ण मंदिर, नरसिंह मंदिर, गणेश मंदिर, हेमकुट मंदिरों का समूह, अच्युतराय मंदिर परिसर, विट्ठल मंदिर परिसर आदि शामिल हैं।
    • विट्ठल मंदिर: यह इस समूह की सबसे उत्कृष्ट और अलंकृत संरचना है तथा विजयनगर मंदिर स्थापत्यकला के चरमोत्कर्ष का प्रतिनिधित्व करती है।
  • हम्पी स्मारक समूह को 1986 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था।

केंद्रीय विद्युत, आवासन और शहरी कार्य मंत्री ने 2000 मेगावाट की सुबनसिरी LEP की यूनिट-2 (250 मेगावाट) के वाणिज्यिक संचालन का उद्घाटन किया।

सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना (LEP) के बारे में

  • यह भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है। इसमें प्रत्येक 250 मेगावाट की 8 इकाइयां शामिल हैं। इसे 'रन-ऑफ-द-रिवर' योजना के रूप में डिजाइन किया गया है।
    • रन-ऑफ-द-रिवर परियोजनाएं नदियों के प्राकृतिक प्रवाह और माइक्रो टरबाइन जनरेटर का उपयोग करती हैं। इससे जल द्वारा वहन की जाने वाली गतिज ऊर्जा (Kinetic energy) को विद्युत में परिवर्तित किया जा सकता है। 
  • क्रियान्वयन: इसे नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड (NHPC) द्वारा संचालित किया जा रहा है।
  • अवस्थिति: यह अरुणाचल प्रदेश और असम की सीमा पर उत्तरी लखीमपुर में स्थित है।
  • सुबनसिरी नदी, ब्रह्मपुत्र की एक प्रमुख सहायक नदी है।

भारत ने चक्रवात दितवाह (Ditwah) से प्रभावित श्रीलंका के लिए 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर के पुनर्निर्माण सहायता पैकेज की घोषणा की। 

  • भारत ने यह घोषणा अपनी 'महासागर' (MAHASAGAR) नीति के अनुरूप की है। 

MAHASAGAR (म्यूच्यूअल एंड हॉलिस्टिक एडवांसमेंट फॉर सिक्योरिटी एंड ग्रोथ अक्रॉस रीजंस/ क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक एवं समग्र उन्नति) सिद्धांत के बारे में

  • यह 'सागर/SAGAR सिद्धांत का ही एक विस्तार है। इसमें अब समुद्री सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक एवं भू-राजनीतिक चिंताओं पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
    • 'MAHASAGAR' पद भारत के समुद्री उद्देश्यों के प्रति अधिक महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो कि इसके अर्थ 'विशाल महासागर' से स्पष्ट होता है।
  • समग्र उद्देश्य: समावेशी संवृद्धि, सुरक्षा एवं सतत विकास के माध्यम से हिंद महासागर और ग्लोबल साउथ में भारत के नेतृत्व को मजबूत करना।

सागर (SAGAR) सिद्धांत के बारे में

  • इस सिद्धांत को 2015 में प्रस्तुत किया गया था। सागर/ SAGAR (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन/ क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) का लक्ष्य निम्नलिखित पांच स्तंभों के माध्यम से भारत की समुद्री संलग्नता में सुधार करना है:
    • सुरक्षा सहयोग; व्यापार व आर्थिक एकीकरण; क्षमता निर्माण एवं आपदा प्रबंधन; सतत विकास; कनेक्टिविटी और अवसंरचना।

भारत को 2025-2028 की अवधि के लिए ICAO-परिषद हेतु पुनर्निवाचित किया गया।

ICAO-परिषद के बारे में

  • यह ICAO का एक शासी निकाय है। यह सचिवालय की देखरेख और विशेषकर तब, जब 'सभा (असेंबली)' का सत्र नहीं चल रहा हो, तो ICAO के माध्यम से निरंतर राजनयिक और तकनीकी निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार है।
  • इसमें 36 सदस्य होते हैं, जिन्हें ICAO सभा की बैठक के दौरान 193 सदस्य देशों द्वारा चुना जाता है। इनका कार्यकाल 3 वर्ष का होता है।

अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (ICAO) के बारे में:

  • यह संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष एजेंसी है। इसकी स्थापना 1944 में शिकागो अभिसमय के तहत की गई थी।
  • सदस्यता: कुल 193 सदस्य। भारत इसके संस्थापक सदस्यों में से एक है।
  • यह हवाई परिवहन में सुरक्षा, दक्षता और स्थिरता के लिए वैश्विक मानकों का समन्वय करता है।
  • यह वैश्विक हवाई आवागमन नेटवर्क के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करता है। यह व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, पर्यटन और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।

कुवैत ने मुबारक अल-कबीर बंदरगाह के निर्माण के लिए चीन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

मुबारक अल-कबीर बंदरगाह के बारे में

  • अवस्थिति: यह बंदरगाह कुवैत के बूबियान द्वीप (Boubyan Island) पर स्थित है।
  • उद्देश्य: क्षेत्रीय व्यापार और परिवहन को बढ़ावा देना; कुवैत के आर्थिक विविधीकरण में योगदान देना और तेल पर इसकी निर्भरता को कम करना।
  • परिचालन: इस संपूर्ण परियोजना के 2026 तक संचालित होने की संभावना है।
  • चीन की 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) का हिस्सा: BRI या 'नवीन रेशम मार्ग', चीन के नेतृत्व वाली अवसंरचना परियोजना है। इसे 2013 में शुरू किया गया था। इसके निम्नलिखित दो मुख्य घटक हैं:
    • सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट: इसमें यूरोप, मध्य पूर्व, मध्य एशिया और एशिया से होकर गुजरने वाले स्थलीय मार्ग शामिल हैं।
    • मैरीटाइम सिल्क रोड: इसमें पूर्वी एशिया, दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका को जोड़ने वाले समुद्री मार्ग शामिल हैं।

हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने आकाश-एनजी (Akash-NG) मिसाइल प्रणाली के मूल्यांकन परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा किया।

आकाश-न्यू जनरेशन (NG) मिसाइल के बारे में

  • प्रकार: यह एक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) रक्षा प्रणाली है। इसे विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों जैसे- तीव्र गति, कम ऊंचाई और लंबी दूरी के उच्च ऊंचाई वाले लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • विकासकर्ता: इसे DRDO ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ मिलकर विकसित किया है।
  • विशेषताएं: यह स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सीकर से सुसज्जित है। यह एक ठोस रॉकेट मोटर द्वारा संचालित होती है।

भारत की राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार- 2025 आवंटित किए।

राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार के बारे में

  • उद्देश्य: यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रौद्योगिकी-आधारित नवाचार के विविध क्षेत्रों में वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों एवं नवप्रवर्तकों द्वारा किए गए उत्कृष्ट एवं प्रेरणादायक योगदान के लिए सर्वोच्च सम्मान है।
  • पात्रता: सरकारी या निजी संगठनों में कार्यरत सभी वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकीविद् और नवाचारकर्ता इसके लिए पात्र हैं।
    • इसके लिए विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के वे व्यक्ति भी पात्र हैं, जिनके असाधारण योगदान से भारतीय समुदायों या समाज को लाभ हुआ हो।
  • यह पुरस्कार निम्नलिखित चार श्रेणियों के तहत प्रदान किया जाता है:
    • विज्ञान रत्न (VR): आजीवन उपलब्धियों और योगदान के लिए।
    • विज्ञान श्री (VS): विशिष्ट योगदान के लिए।
    • विज्ञान युवा-शांति स्वरूप भटनागर (VY-SSB): युवा वैज्ञानिकों को।
    • विज्ञान टीम (VT): तीन या अधिक वैज्ञानिकों/ शोधकर्ताओं/ नवप्रवर्तकों से मिलकर बना समूह।
  • यह पुरस्कार 13 कार्यक्षेत्रों में दिया जाता है, जैसे कि- भौतिकी, इंजीनियरिंग विज्ञान आदि।
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