हाल ही में, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्तमान में 20 से 25 लाख सक्रिय क्रिएटर्स हैं। ये क्रिएटर्स लगभग $350-400 बिलियन के उपभोक्ता व्यय को प्रभावित कर रहे हैं। अनुमान है कि 2030 तक यह आंकड़ा $1 ट्रिलियन को पार कर जाएगा।
- ऐसा इस कारण क्योंकि, लगभग 30% उपभोक्ता खरीदारी का निर्णय लेते समय इन क्रिएटर्स की सलाह या रिव्यू से प्रभावित होते हैं।
भारत में क्रिएटर-प्रेरित व्यय में वृद्धि: रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- भारत में सहायक अवसंरचना: भारत में डिजिटल कंटेंट देखने का समय (प्रति सप्ताह घंटों में) वित्त वर्ष 2020 के 6.6 घंटे से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 10.9 घंटे हो गया है। साथ ही, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या वित्त वर्ष 2020 की लगभग 740 मिलियन से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 950 मिलियन हो गई है।
- जनसांख्यिकीय विस्तार: यह इकोसिस्टम अब केवल जेन-जी (Gen Z) और महानगरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह विभिन्न आयु समूहों और छोटे शहरों (टियर शहरों) तक भी पहुंच रहा है।
- प्रमुख श्रेणियां: शॉर्ट-फॉर्म वीडियो सबसे प्रभावशाली कंटेंट प्रारूप बना हुआ है। कॉमेडी, फिल्में, डेली सोप्स और फैशन सबसे अधिक देखे जाने वाले जॉनर हैं।
- ब्रांड खर्च: लगभग 70% ब्रांड अगले 2-3 वर्षों में अपने क्रिएटर बजट को 1.5 से 3 गुना बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। यह डिजिटल क्रिएटर तंत्र द्वारा संचालित विपणन पद्धति को व्यापक स्तर पर अपनाने का संकेत है।
क्रिएटर (या ऑरेंज) इकोनॉमी के बारे में
- अर्थ: यह एक ऐसा तंत्र है, जिसमें क्रिएटर्स, प्लेटफॉर्म्स, ब्रांड्स और तीसरे पक्ष के मध्यवर्ती शामिल होते हैं। ये सभी विज्ञापन, प्रायोजन (sponsorship), सब्सक्रिप्शन और कॉमर्स जैसे कंटेंट-आधारित मॉडल्स के माध्यम से राजस्व उत्पन्न करने के लिए सहयोग करते हैं।
- क्रिएटर्स दर्शकों को जोड़ने के लिए वीडियो एवं पोस्ट जैसे कंटेंट बनाते हैं, तथा अपनी प्रामाणिकता, संबद्धता और संबंधित विशेषज्ञता प्रस्तुत करते हैं।
- महत्त्व:
- आर्थिक संवृद्धि: यूट्यूब के अनुसार, इसके क्रिएटिव इकोसिस्टम ने 2024 में भारत की जीडीपी में 16,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया था।
- रोजगार और नवाचार: यह यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर मुद्रीकरण (monetisation) के अवसरों के माध्यम से इन्फ्लुएंसर्स, संपादकों, आईटी पेशेवरों आदि को आजीविका प्रदान करती है।
- प्रमुख चुनौतियां: मुद्रीकरण के अस्थिर अवसर; प्लेटफॉर्म्स के कठोर एल्गोरिदम; बौद्धिक संपदा की सुरक्षा; विश्वास और प्रामाणिकता (जैसे कि फर्जी फॉलोअर्स की समस्या) आदि।