इसरो के LVM3-M6 मिशन ने ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह को निम्न भू-कक्षा (LEO) में सफलतापूर्वक स्थापित किया | Current Affairs | Vision IAS
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इस मिशन के तहत, जो इसरो की छठी परिचालन उड़ान थी, एएसटी स्पेसमोबाइल के लिए ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह को लॉन्च किया गया, जिससे उन्नत सुविधाओं और महत्वपूर्ण पेलोड क्षमता के साथ वैश्विक उपग्रह-आधारित मोबाइल कनेक्टिविटी संभव हो सकेगी।

In Summary

LVM3-M6, 'LVM3' रॉकेट की छठी परिचालन उड़ान है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका की कंपनी AST SpaceMobile के 'ब्लूबर्ड ब्लॉक-2' उपग्रह को प्रक्षेपित करने के लिए तीसरा समर्पित व्यावसायिक मिशन है।

  • इस मिशन को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया है। यह मिशन न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) और अमेरिकी कंपनी AST के बीच एक व्यावसायिक समझौते का हिस्सा है।
    • NSIL को वर्ष 2019 में स्थापित किया गया था। यह अंतरिक्ष विभाग के तहत सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली एक सरकारी कंपनी है। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो/ ISRO) की व्यावसायिक शाखा के रूप में कार्य करती है।

ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 के बारे में:

  • यह LEO में स्थापित किए गए वैश्विक उपग्रह समूह का हिस्सा है। यह उपग्रह के माध्यम से डायरेक्ट-टू-मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करता है। यह 4G व 5G वॉइस कॉल, वीडियो कॉल, टेक्स्ट, स्ट्रीमिंग और डेटा की सुविधा देता है।
    • निम्न भू-कक्षा (LEO): यह पृथ्वी की सतह के अपेक्षाकृत करीब (लगभग 160-1000 किमी की ऊंचाई पर) स्थित कक्षा है। यह उपग्रहों द्वारा छवि लेने (सैटेलाइट इमेजिंग) के लिए उपयोगी है और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भी यहीं स्थित है।
  • मुख्य विशेषता: इसमें 223 वर्ग मीटर का फेज़्ड ऐरे (Phased Array) है, जो इसे LEO में स्थापित अब तक का सबसे बड़ा व्यावसायिक संचार उपग्रह बनाता है।
    • यह LVM3 द्वारा प्रक्षेपित किया गया अब तक का सबसे भारी पेलोड (6,100 किलोग्राम) है।

इसरो के LVM3 प्रक्षेपण यान के बारे में:

  • तीन चरण (Stages): इसमें दो ठोस प्रणोदक स्ट्रैप-ऑन मोटर्स (S200), एक तरल कोर चरण (L110) और एक क्रायोजेनिक ऊपरी चरण (C25) शामिल हैं।
  • क्षमता: इसका लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान 640 टन है और यह भू-तुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा (Geosynchronous Transfer Orbit: GTO) तक 4,200 किलोग्राम पेलोड ले जाने में सक्षम है।
    • GTO लगभग 37,000 किमी की ऊंचाई पर एक दीर्घ वृत्ताकार कक्षा है। इसका उपयोग अंतरिक्ष यान को भू-तुल्यकालिक और भू-स्थिर (Geostationary) कक्षाओं में स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है।
  • पिछले मिशन: चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और वनवेब (OneWeb) के दो मिशन (जिनमें 72 उपग्रह ले जाए गए थे)।
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