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भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार (INTELLECTUAL PROPERTY RIGHTS IN INDIA)

19 Aug 2025
1 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

भारत में पिछले पांच वर्षों में बौद्धिक संपदा (IP) फाइलिंग में 44% की वृद्धि दर्ज की गई है, जिसका मुख्य कारण भौगोलिक संकेतकों (GI) में 380% की बढ़ोतरी है।

बौद्धिक संपदा में वृद्धि के कारण

  • कानूनी और प्रक्रियात्मक सरलीकरण: बौद्धिक संपदा कानूनों और नियमों का सरलीकरण किया गया है। जैसे, पेटेंट परीक्षण की समय-सीमा को 48 महीने से घटाकर 31 महीने की गई है। पेटेंट डाक्यूमेंट्स के लिए अनिवार्य ई-सबमिशन शुरू किया गया है।
  • बौद्धिक संपदा कार्यालयों का आधुनिकीकरण: व्यापक ई-फाइलिंग प्रणाली के साथ बौद्धिक संपदा कार्यालयों का डिजिटलीकरण किया गया है। इसकी वजह से 95% से अधिक आवेदन अब ऑनलाइन दाखिल किए जाते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानक: जैसे, औद्योगिक डिजाइनों के लिए लोकार्नो एग्रीमेंट के तहत अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण को अपनाया है।
    • लोकार्नो एग्रीमेंट विश्व बौद्धिक सम्पदा संगठन (World Intellectual Property Organization: WIPO) के तहत 1968 में हस्ताक्षरित एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
  • जागरूकता और क्षमता निर्माण: जैसे, SPRIHA (Scheme for Pedagogy & Research in IPRS for Holistic. Education & Academia) योजना का उद्देश्य देश भर के उच्चतर शिक्षण संस्थानों में IPR शिक्षा को एकीकृत करना है।
    • राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IP) पुरस्कार: उत्कृष्ट IP निर्माण और उसके व्यावसायीकरण में योगदान देने वाले शीर्ष लोगों को मान्यता दी जाती है और पुरस्कार प्रदान किया जाता है। 
  • अन्य: 
    • शुल्क में छूट (ऑनलाइन फाइलिंग के लिए 10% शुल्क में कमी), 
    • डिजिटल पहल (IP सारथी चैटबॉट आवेदक की सहायता के लिए और IP डैशबोर्ड रियल टाइम आधार पर IP डेटा प्रदान करने के लिए) और 
    • AI तथा मशीन लर्निंग (ML) का उपयोग आदि।

बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)

  • परिभाषा: बौद्धिक संपदा अधिकार व्यक्तियों को उनके मस्तिष्क द्वारा उत्पन्न रचनाओं पर दिए गए अधिकार हैं। वे आमतौर पर निर्माता को एक निश्चित अवधि के लिए अपनी रचना के उपयोग पर विशेष अधिकार देते हैं।
    • IPRM व्यवस्था के तहत 8 प्रकार के बौद्धिक संपदा अधिकार शामिल हैं: (i) पेटेंट, (ii) ट्रेडमार्क, (iii) औद्योगिक डिजाइन, (iv) कॉपीराइट, (v) भौगोलिक संकेतक, (vi) सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटेड सर्किट लेआउट डिजाइन, (vii) व्यापार रहस्य, और (viii) पादप किस्में।
  • प्रशासन: केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (DIPP) के अधीन पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक द्वारा प्रशासित है।
    • इंटीग्रेटेड सर्किट लेआउट-डिजाइन पर अधिनियम का प्रशासन केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा किया जाता है।
    • पादप किस्म पर अधिनियम का प्रशासन केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
बौद्धिक संपदा के प्रकार        विषय     कानूनी प्रावधान     सुरक्षा अवधि 
भौगोलिक संकेतक (GI)

उन वस्तुओं को प्रदान की जाती हैं जिनकी अनन्य विशेषताएं किसी खास भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ी होती हैं, जैसे कृषि उत्पाद, प्राकृतिक वस्तुएँ, निर्मित वस्तुएँ, हस्तशिल्प और खाद्य पदार्थ।

भौगोलिक संकेतक अधिनियम 1999 और GI नियम 2002 (2020 में संशोधित)।

10 वर्ष, अतिरिक्त शुल्क के भुगतान पर आगे 10 वर्षों के लिए नवीनीकृत।

डिजाइन

नए या मूल डिजाइन (मानव नेत्र से दिखने वाली सजावटी / दृश्य) जिन्हें औद्योगिक रूप से दोहराया जा सकता है।

डिजाइन अधिनियम, 2000 और डिजाइन (संशोधन) नियम 2021

10 + 5 वर्ष

पेटेंट

ऐसे आविष्कार जो नवीन, आविष्कार योग्य हो जिनकी औद्योगिक क्षेत्र में उपयोगिता हो।

पेटेंट अधिनियम, 1970 और पेटेंट नियम, 2003 (2014, 2016, 2017, 2019, 2020 और 2021 में संशोधित)।

20 वर्ष

कॉपीराइट

रचनात्मक, कलात्मक, साहित्यिक, संगीत और ऑडियो-विजुअल कृतियां।

कॉपीराइट अधिनियम, 1957 और कॉपीराइट नियम 2013 (2021 में संशोधित)।

लेखक - आजीवन + 60 वर्ष; निर्माता (प्रोड्यूसर) - 60 वर्ष; कलाकार - 50 वर्ष

ट्रेडमार्क

किसी व्यवसाय या वाणिज्यिक उद्यम के ब्रांड नाम, लोगो और डिजाइन की सुरक्षा करता है।

ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 और ट्रेडमार्क नियम 2017।

10 वर्ष, अतिरिक्त शुल्क के भुगतान पर 10 और वर्षों के लिए नवीनीकृत।

सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटेड सर्किट लेआउट-डिजाइन (SICLD)

ट्रांजिस्टर और अन्य सर्किट तत्वों का लेआउट, जिसमें उन्हें जोड़ने वाली लीड तारें भी शामिल हों। साथ ही जिन्हें सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटेड सर्किट में किसी भी तरह से व्यक्त किया गया है।

सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटेड सर्किट लेआउट- डिजाइन अधिनियम, 2000 और नियम, 2001

10 वर्ष

व्यापार रहस्य

वाणिज्यिक मूल्य वाली गोपनीय जानकारी।

सामान्य विधि दृष्टिकोण (अनुबंध अधिनियम, IP अधिनियम और कॉपीराइट आदि के माध्यम से कवर)।

जब तक गोपनीयता सुरक्षित है।

पादप किस्म

पारंपरिक किस्में और स्थानीय प्रजातियां (Landraces); वे सभी विकसित प्रजातियां (गैर-पारंपरिक और गैर-स्थानिक प्रजातियाँ) जो 1 वर्ष से अधिक और 15 वर्ष या 18 वर्ष (वृक्ष और लताओं के मामले में) से कम अवधि से व्यापार/ उपयोग में हों, और नई पादप किस्में।

पादप किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम (PPVFRA), 2001

6-10 वर्ष

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) से संबंधित चुनौतियां

  • अनुसंधान और विकास (R&D) पर कम खर्च: भारत अपनी GDP का केवल 0.7% अनुसंधान और विकास पर खर्च करता है। यह चीन (2.1%) और ब्राजील (1.3%) जैसे देशों की तुलना में काफी कम है।
  • पेटेंट विवाद और एवरग्रीनिंग: दवा कंपनियां अक्सर पेटेंट एवरग्रीनिंग का सहारा लेती हैं। एवरग्रीनिंग के तहत दवा कंपनियां अपनी दवाई की पेटेंट अवधि बढ़ाने के लिए मौजूदा दवाओं में मामूली बदलाव कर देती हैं।
  • पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 3(d) ऐसे कृत्य पर रोक लगाती है। इससे अक्सर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ विवाद चलता रहता है।
  • अनिवार्य लाइसेंसिंग की चिंताएँ: दवा क्षेत्रक में, सरकार पेटेंट धारक की सहमति के बिना पेटेंट युक्त उत्पादों के उत्पादन की अनुमति दे सकती है।
    • यह प्रावधान सभी के लिए जीवन रक्षक आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। हालांकि इसकी वजह से विश्व की बड़ी दवा कंपनियों के साथ अक्सर तनाव पैदा होता रहता है।
  •  IP के बदले वित्त-पोषण अभी भी शुरुआत चरण में होना:  इसके मुख्य कारण हैं; जागरूकता की कमी, IP उत्पाद की वैल्यू आकलन को लेकर जटिलताएँ, पारंपरिक भौतिक संपदाओं पर निर्भरता, और कोलेटरल के रूप में IP रखने से इसकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं।
    • IP वित्त-पोषण का अर्थ है- ट्रेडमार्क, डिज़ाइन राइट्स, पेटेंट और कॉपीराइट जैसी बौद्धिक संपदाओं के बदले ऋण प्राप्त करना।
  • "लंबित पेटेंट" पर अस्पष्टता: संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के विपरीत, भारत में उत्पादों के लिए "लंबित पेटेंट" की स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। इससे पेटेंट का दुरुपयोग हो सकता है।
  • अन्य चुनौतियां: 
    • IPR प्रदान करने में देरी और लंबित मामलों की अधिकता; 
    • IPR कानूनों का सही से लागू नहीं होना; 
    • वाणिज्यीकरण की कमी: अधिक पेटेंट फ़ाइलिंग होने के बावजूद बाजार में तैयार उत्पादों की सफलता सीमित रहती है। 

आगे की राह 

  • राष्ट्रीय IPR नीति की समग्र समीक्षा: नवाचार में नई और उभरती प्रवृत्तियों को शामिल करने, क्रियान्वयन में आयी खामियों को दूर करने और नवाचार इकोसिस्टम एवं IP वित्त-पोषण को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय IPR नीति की समग्र समीक्षा की आवश्यकता है।
  • राज्य सरकारों की भागीदारी बढ़ाना: राज्यों को अपनी खुद की IPR नीतियां बनाने और लागू करने, जागरूकता प्रसार, शैक्षणिक संस्थानों में नवाचार, राज्य-स्तरीय नवाचार परिषदों की स्थापना, और IP से जुड़े अपराधों पर अंकुश लगाने के संबंध में अधिकार प्रदान करने की जरूरत है।
  • प्रवर्तन तंत्र को मजबूत करना: कानून प्रवर्तन एजेंसियों, सीमा शुल्क संगठनों और IP कार्यालयों के बीच समन्वय में सुधार करने और विशेष IPR  प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है। तकनीकी रूप से प्रशिक्षित न्यायाधीश युक्त विशेष IPR न्यायालय स्थापित किए जाने चाहिए।
  • IP निधि की स्थापना: दूरदराज और पारंपरिक ज्ञान-समृद्ध क्षेत्रों, जैसे आदिवासी क्षेत्र, पहाड़ी और पूर्वोत्तर राज्यों में IP संस्कृति को बढ़ावा देने वाली पहलों का समर्थन करने के लिए अलग से IP निधि स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना: उदाहरण के लिए, वैश्विक IP संस्थाओं (जैसे, WIPO) के साथ सहयोग करना और सर्वोत्तम कार्य-पद्धतियों को अपनाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
    • यह सुनिश्चित करना चाहिए कि व्यापार समझौते के IP प्रावधान नवाचार, लोक स्वास्थ्य और राष्ट्रीय हित के बीच संतुलन स्थापित करना।
  • अन्य उपाय: 
    • अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहन (कर छूट, अनुदान) देकर नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देना चाहिए, 
    • बौद्धिक सम्पदा अधिकार की ऑनलाइन चोरी से निपटने के लिए साइबर सुरक्षा और डिजिटल IPR संरक्षण को मजबूत करना चाहिए,
    • शैक्षिक पहलों के माध्यम से बौद्धिक संपदा के बारे में जागरूकता बढ़ाना चाहिए, आदि।

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