वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक 2025
विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक 2025 विभिन्न देशों में लैंगिक समानता के बारे में जानकारी प्रदान करता है। भारत 148 देशों में से 131वें स्थान पर है, जो पिछले वर्ष की तुलना में दो स्थान नीचे है और इसका समानता स्कोर 64.1% है।
माप के प्रमुख आयाम
- आर्थिक भागीदारी और अवसर: भारत का स्कोर +0.9 प्रतिशत अंक बढ़कर 40.7% हो गया है। अनुमानित अर्जित आय समता 28.6% से बढ़कर 29.9% हो गई है। श्रम बल भागीदारी 45.9% पर स्थिर रही।
- शैक्षिक उपलब्धि: भारत ने 97.1% का स्कोर हासिल किया, जो महिला साक्षरता दर और उच्च शिक्षा नामांकन में सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है।
- स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा: महिला और पुरुषों दोनों की जीवन प्रत्याशा में समग्र कमी के बावजूद जन्म के समय लिंगानुपात और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा में सुधार देखा गया।
- राजनीतिक सशक्तिकरण: समानता में -0.6 अंकों की मामूली गिरावट, संसद में महिला प्रतिनिधित्व घटकर 13.8% तथा मंत्रिस्तरीय भूमिकाएं घटकर 5.6% रह गईं हैं।
क्षेत्रीय प्रदर्शन
दक्षिण एशिया में बांग्लादेश सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला देश बनकर उभरा है, जिसकी वैश्विक रैंकिंग 24वीं है। वहीं, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, मालदीव और पाकिस्तान जैसे अन्य देश निचले पायदान पर हैं।
वैश्विक रुझान
वैश्विक लैंगिक अंतराल 68.8% तक गिर गया है। ऐसा अनुमान है कि पूर्ण समानता हासिल करने में 123 साल का समय लगेगा। आइसलैंड रैंकिंग में सबसे ऊपर है, उसके बाद फिनलैंड, नॉर्वे, यूके और न्यूजीलैंड का स्थान है।
निष्कर्ष
विश्व आर्थिक मंच की प्रबंध निदेशक सादिया जाहिदी ने इस बात पर जोर दिया कि लैंगिक समानता को बढ़ावा देना विशेषकर वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के समय में आर्थिक नवीनीकरण के लिए महत्वपूर्ण है।