डेटा त्रुटियां न्यूनतम होनी चाहिए, जापानी मानकों का पालन करने की आवश्यकता: नीति सीईओ | Current Affairs | Vision IAS

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डेटा त्रुटियां न्यूनतम होनी चाहिए, जापानी मानकों का पालन करने की आवश्यकता: नीति सीईओ

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सरकारी कार्यक्रमों में डेटा सटीकता का महत्व

नीति आयोग के सीईओ बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम ने भारत में जापानी गुणवत्ता मानकों की तरह त्रुटिहीन डेटा सटीकता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि डेटा में गलतियों का सबसे अधिक और गंभीर प्रभाव देश के कमजोर नागरिकों पर पड़ता है।

डेटा त्रुटियों का प्रभाव

  • आंकड़ों में त्रुटियां लाखों लोगों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती हैं, जैसे कि 100 मिलियन एल.पी.जी. सिलेंडर लाभार्थियों में 5% त्रुटि दर, जिससे संभावित रूप से 5 मिलियन लोग प्रभावित हो सकते हैं। 
  • सुब्रह्मण्यम ने डेटा सटीकता में पर्याप्त सुधार प्राप्त करने के लिए 0.0001% की त्रुटि दर के लिए प्रयास करने का सुझाव दिया है। 

डेटा सिस्टम से जुड़ी वर्तमान चुनौतियाँ

  • डेटा को अक्सर मंत्रालयों और राज्यों में अलग-अलग स्थानों पर संग्रहित किया जाता है, जिसके कारण प्रारूप में टकराव होता है और पहचानकर्ता असंगत हो जाते हैं। 
  • कई प्रणालियाँ पुराने बैक-एंड का उपयोग करती हैं, जिनमें सत्यापन नियमों और ऑडिट ट्रेल्स जैसी आवश्यक सुविधाओं का अभाव होता है। इससे मामूली बदलावों से अस्थिरता पैदा होती है। 

प्रस्तावित समाधान

  • नीति आयोग के फ्रंटियर टेक हब द्वारा जारी की गई तिमाही तकनीकी अंतर्दृष्टि रिपोर्ट में बेहतर सरकारी परिणामों के लिए डेटा की गुणवत्ता में गंभीर सुधार की वकालत की गई है।
  • स्व-मूल्यांकन के साथ डेटा गुणवत्ता निगरानी ढांचे और डेटा परिपक्वता के लिए स्कोरकार्ड का सुझाव दिया गया है। 

परिशुद्धता का महत्व

  • खराब डेटा गुणवत्ता के कारण बजट पर प्रभाव पड़ता है, नीति विकृत होती है तथा डिजिटल प्रणालियों में विश्वास कम होता है। 
  • सौरभ गर्ग ने राष्ट्रीय आवश्यकता के रूप में "स्केल टू प्रिसिजन" की ओर बदलाव पर प्रकाश डाला। 

प्रणालीगत सुधार का आह्वान 

  • सुब्रह्मण्यम पर्याप्त सुधार लाने और एक बड़े बदलाव के लिए वर्तमान डेटा प्रणालियों में पूर्ण परिवर्तन की वकालत करते हैं। 
  • Tags :
  • Data Accuracy
  • NITI Aayog’s Frontier Tech Hub
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