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QS रैंकिंग सूची में भारतीय विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन कैसा रहा? | Current Affairs | Vision IAS

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QS रैंकिंग सूची में भारतीय विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन कैसा रहा?

12 min read

भारतीय विश्वविद्यालयों की अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग

हाल के घटनाक्रमों ने अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में भारतीय विश्वविद्यालयों की बढ़ती उपस्थिति को उजागर किया है। क्वाक्वेरेली साइमंड्स (QS) रैंकिंग के अनुसार अब 50 से अधिक भारतीय संस्थान शीर्ष 1,500 में हैं।

मुख्य तथ्यों पर एक नजर 

  • पहली बार, 50 से अधिक भारतीय विश्वविद्यालय QS टॉप 1,500 में शामिल हुए हैं, जो 2015 के 11 से बढ़कर 2026 में 54 हो जाएंगे। 
  • सर्वोच्च रैंक वाला भारतीय विश्वविद्यालय IIT दिल्ली है, जिसकी रैंक 123 है। इसके बाद IIT बॉम्बे, IIT मद्रास, IIT खड़गपुर और IISc बेंगलुरु का स्थान है।
  • सूची में शामिल नए विश्वविद्यालयों में हरियाणा स्थित अशोका विश्वविद्यालय और ग्रेटर नोएडा स्थित शिव नादर इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस शामिल हैं। 

रैंकिंग पैरामीटर

QS रैंकिंग कई मापदंडों पर आधारित होती है:

  • शैक्षणिक प्रतिष्ठा: 30%
  • प्रभावशाली अनुसंधान: शोध पत्रों के लिए उद्धरण (20%), अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क (5%) 
  • विविधता: छात्र विविधता, अंतर्राष्ट्रीय संकाय और छात्र (10%)
  • छात्र परिणाम: नियोक्ता प्रतिष्ठा (15%), छात्र प्लेसमेंट (5%)
  • परिसर की संधारणीयता: 5% 

चुनौतियाँ और प्रगति

  • भारतीय विश्वविद्यालय वैश्विक मानदंडों को अपना रहे हैं, जिससे उनकी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ रही है।
  • भारत में औसत स्नातक छात्र-शिक्षक अनुपात 19 है; आदर्श रूप से यह 10-15 के बीच होना चाहिए।
  • अधिकांश भारतीय विश्वविद्यालयों में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और शिक्षकों की कमी है, जिससे अंक प्रभावित होते हैं। 

अनुसंधान और रोजगार पर ध्यान केंद्रित करना

  • परंपरागत रूप से, भारतीय विश्वविद्यालयों में अनुसंधान पर जोर नहीं दिया जाता था। हालाँकि, अब इसमें विशेष रूप से IITs/IISERs और नए निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों के संदर्भ में बदलाव आ रहा है। 
  • राष्ट्रीय शिक्षा योजना, 2020 (NEP) विश्वविद्यालयों में अनुसंधान पर जोर देती है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में वृद्धि हो सकती है।
  • रोजगार के अवसरों पर ध्यान बढ़ रहा है। यहां तक ​​कि बड़े केंद्रीय विश्वविद्यालयों में भी प्लेसमेंट सेल की स्थापना आम बात हो गई है।

भविष्य की दिशाएं 

  • अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और फैकल्टी को प्रोत्साहित करने से भारतीय विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में सुधार हो सकता है। 
  • विद्यार्थियों के लिए रोजगार के अवसरों हेतु उद्योग जगत के साथ सहयोग आवश्यक है।
  • परिसरों में पर्यावरणीय संधारणीयता पर ध्यान केंद्रित करने से विश्वविद्यालय की स्थिति में सुधार हो सकता है।  
  • Tags :
  • Quacquarelli Symonds (QS) rankings
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