2047 तक एल्युमीनियम और तांबा उत्पादन के लिए भारत का विजन
भारत ने वर्ष 2047 तक एल्युमीनियम और तांबे के घरेलू उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि करने की महत्वाकांक्षी योजना का अनावरण किया है।
एल्युमिनियम विज़न दस्तावेज़
- उत्पादन वृद्धि: योजना का लक्ष्य एल्युमीनियम उत्पादन में छह गुना वृद्धि करना है।
- बॉक्साइट क्षमता: बॉक्साइट क्षमता को बढ़ाकर 150 मिलियन टन प्रति वर्ष (mtpa) करना।
- पुनर्चक्रण: उत्पादन वृद्धि को समर्थन देने के लिए पुनर्चक्रण प्रक्रियाओं को बढ़ाना।
- हरित प्रौद्योगिकियाँ: उत्पादन में पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकियों के उपयोग को बढ़ावा देना।
कॉपर विज़न दस्तावेज़
- मांग पूर्ति: 2047 तक तांबे की मांग में छह गुना वृद्धि को पूरा करने के लिए रणनीति बनाना।
- शोधन क्षमता: 2030 तक शोधन क्षमता को 5 मिलियन टन प्रति वर्ष (mtpa) तक पहुंचाने का लक्ष्य।
- पुनर्चक्रण: संधारणीयता के लिए पुनर्चक्रण प्रयासों को मजबूत करना।
- वैश्विक गठजोड़: उद्देश्यों के पूरा करने के लिए वैश्विक स्तर पर रणनीतिक गठबंधन स्थापित करना।
संधारणीय खनन प्रथाएँ
ये विज़न दस्तावेज़ संधारणीय और जिम्मेदार खनन प्रथाओं पर केंद्रित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए।
खदान बंद करने का सिद्धांत—"6 "Rs"
- पुनर्ग्रहण (Reclamation): खनन के बाद भूमि का पुनर्स्थापन।
- पुनःउपयोग (Repurposing): खनन भूमि के लिए नए उपयोग खोजना।
- पुनर्वास (Rehabilitation): खनन से प्रभावित पारिस्थितिकी तंत्र और समुदायों को पुनर्जीवित करना।
- पुनर्वनीकरण (Revegetation): खनन क्षेत्रों को बहाल करने के लिए वनस्पति लगाना।
- उपचार (Remediation): प्रदूषित क्षेत्रों की सफाई और उपचार।
- त्याग (Relinquishment): खनन की गई भूमि को सुरक्षित रूप से बंद करना और सौंपना।