
सुर्ख़ियों में क्यों?
सरकार ने कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए कृषि भूमि पर पेड़ों की कटाई के लिए मॉडल नियम 2025 जारी किए हैं।
अन्य संबंधित तथ्य
- मॉडल नियमों में शामिल हैं:
- कृषि वानिकी के लिए भूमि के पंजीकरण की प्रक्रिया।
- कृषि वानिकी के अंतर्गत वृक्षों की कटाई।
- कृषि वानिकी से उत्पादित इमारती लकड़ी का प्रमाणीकरण/ ट्रांजिट।
भारत में कृषि वानिकी के बारे में
- राष्ट्रीय कृषि वानिकी नीति-2014 के अनुसार, "कृषि वानिकी एक भूमि उपयोग प्रणाली है जो खेतों और ग्रामीण इलाकों में पेड़ और झाड़ियाँ को एकीकृत करके उत्पादकता, लाभप्रदता, विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की संधारणीयता को बढ़ाती है।"
- 2014 की नीति का उद्देश्य कृषि भूमि पर इस प्रकार वृक्षारोपण करना है कि यह फसलों और पशुधन दोनों के लिए लाभदायक हो।
- भारत के कृषि वानिकी वृक्षारोपण भारत के भौगोलिक भू-क्षेत्र के लगभग 8% भाग पर फैले हुए हैं।
कृषि वानिकी का महत्त्व (कृषि वानिकी पर EAC-PM वर्किंग पेपर)
- कृषि विकास: यह कृषि में 4% की सतत वृद्धि हासिल करने में मदद कर सकता है।
- विविध प्रभाव:
- यह ईंधन के लिए काम आने वाली लकड़ी की आधी मांग को पूरा करता है।
- कागज और पल्प के लिए कच्चे माल का 60% प्रदान करता है।
- यह भारत के हरे चारे की आवश्यकताओं (पशुपालन के लिए) का 9 से 11% तक पूरा करता है।
- खाद्य सुरक्षा: यह कृषि उत्पादन को बढ़ाता है (औसतन 51 प्रतिशत ) और फसल की विफलता को रोकता है।
- इससे पोषण, स्वास्थ्य, स्थिरीकरण और समुदायों की आय में सुधार होगा।
- संधारणीय विकास:
- कार्बन पृथक्करण: यह प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष 13.7 से 27.2 टन CO2 का पृथक्करण कर सकता है।
- मृदा स्वास्थ्य: एग्रोफॉरेस्ट्री मृदा की जैविक कार्बन (Soil Organic Carbon: SOC) मात्रा को बढ़ाने में सहायक होती है। उदाहरणस्वरूप, केवल गेहूं और मूंग की खेती में SOC 0.62% थी, जबकि जब वही फसलें पॉपलर के पेड़ों के साथ उगाई गई तो SOC बढ़कर 1.14% हो गई। इसके अलावा, एग्रोफॉरेस्ट्री मृदा की लवणता को भी कम करती है।
- जलवायु स्मार्ट कृषि: यह बाढ़ आदि जैसी चरम मौसमी घटनाओं का सामना कर सकती है।
- पर्यावरण संबंधी: इससे प्राकृतिक वनों पर दबाव कम होगा, पोषक तत्वों का अधिक कुशल पुनर्चक्रण होगा, पारिस्थितिकी प्रणालियों का बेहतर संरक्षण होगा तथा सतही अपवाह, पोषक तत्वों का रिसाव और मृदा अपरदन में कमी आएगी।
- वन के बाहर वृक्ष: कृषि वानिकी वन के बाहर वृक्षों की संख्या बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
- अन्य: इसमें रोजगार सृजन, आयात में कमी तथा फर्नीचर और निर्माण उद्योग के लिए आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना शामिल है।
कृषि वानिकी के विकास की चुनौतियां
- नीतिगत खामियां:
- किसानों के लिए कृषि वानिकी ट्री मैनुअल के अभाव के कारण चयनित वृक्षों के बारे में जानकारी का अभाव है।
- जल वानिकी (Aqua forestry) जैसी अनूठी और उच्च तकनीक वाली कृषि वानिकी प्रणालियों पर कम जोर दिया जाता है।
- प्रतिबंधात्मक विनियम: परमिट प्राप्त करने की प्रक्रिया जटिल है और प्रसंस्करण के विभिन्न चरणों पर कर लगाए जाते हैं।
- भारत की नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम (NTPS) का अपर्याप्त उपयोग: यह एक ऑनलाइन प्रणाली है जो लकड़ी, बांस आदि के अंतर-राज्य/ अन्तः राज्य परिवहन के लिए पास जारी करती है।
- अब तक 82% आवेदन केवल तीन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और जम्मू-कश्मीर) से प्राप्त हुए हैं।
- उच्च किस्म के बीजों की उपलब्धता: बेहतर पौध सामग्री और इम्प्रूव्ड बीज किस्मों की कमी है।
- पिछली नीतियों में बाधाएं: पुरानी नीतियों में केवल कुछ प्रजातियों (जैसे पॉपलर, यूकेलिप्टस, कदम) पर अत्यधिक जोर दिया, जो भारत की जलवायु और मिट्टी के अनुकूल नहीं थी। उदाहरण के लिए, यूकेलिप्टस अत्यधिक जल गहन वृक्ष है।
- अन्य: विपणन अवसंरचना का अभाव, संस्थागत वित्त और बीमा कवरेज की कमी, आदि।
निष्कर्ष
लाभप्रदता, उत्पादन और पर्यावरणीय प्रभाव में संतुलन के लिए कानूनों को सरल बनाने, NTPS के बेहतर उपयोग और अगली पीढ़ी की प्रणालियों को लागू करने की आवश्यकता है।